NewDelhi : पंजाब नेशनल बैंक से 13,000 करोड़ की धोखाधड़ी किये जाने के मामले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कॉर्नर नोटिस वापस लिये जाने पर सीबीआई की किरकिरी हो रही है. अब खबर आयी है कि सीबीआई ने इस मामले में फिर से रेड कॉर्नर नोटिस बहाल करने के लिए कमीशन फॉर कंट्रोल ऑफ इंटरपोल फाइल्स (सीसीएफ) से संपर्क साधा है.
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2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया गया था
बता दें कि इंटरपोल ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. इसके खिलाफ चोकसी द्वारा की गयी अपील 2020 में खारिज कर हो गयी थी. वर्तमान में रेड कॉर्नर नोटिस हटाये जाने के मामले में एजेंसी(सीबीआई) ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि केवल काल्पनिक और अप्रमाणित अनुमानों के आधार पर पांच सदस्यीय सीसीएफ चैंबर ने नवंबर, 2022 में रेड नोटिस को हटाने का निर्णय लिया.
जान लें कि सीसीएफ, इंटरपोल के भीतर एक अलग निकाय है, जो इंटरपोल सचिवालय के नियंत्रण में नहीं है और इसमें मुख्य रूप से विभिन्न देशों के निर्वाचित वकील नियुक्त हैं.
सीबीआई ने कहा, केवल इंटरपोल पर निर्भर नहीं
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई का ग्लोबल ऑपरेशंस सेंटर विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सीधे समन्वय में मेहुल चोकसी जैसे वांछित अपराधियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखता है. कहा कि सीबीआई केवल इंटरपोल चैनलों पर निर्भर नहीं है. एजेंसी के अनुसार सीसीएफ ने बाद में सीबीआई को स्पष्ट किया है कि उसका फैसला किसी भी तरह से मेहुल चोकसी के किसी भी अपराध या निर्दोषता पर कोई प्रभाव नहीं डालता है, जिन पर भारत में आरोप लगाया गया है.
बदलते घटनाक्रम के बीच सीबीआई ने कहा है कि ताजा सूचना और निर्णय में गंभीर त्रुटियों के आधार पर सीबीआई, सीसीएफ के निर्णय को संशोधित करने के लिए कदम उठा रही है. कहा कि सीबीआई इस दोषपूर्ण निर्णय को सुधारने और रेड नोटिस फिर से बहाल किये जाने को लेकर इंटरपोल के अंतर्गत उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल कर रही है.
2017 में ली थी एंटीगुआ की नागरिकता
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि मेहुल चोकसी ने नवंबर, 2017 में भारतीय नागरिकता को सरेंडर किये बिना ही एंटीगुआ की नागरिकता ले ली. वह 4 जनवरी, 2018 को नीरव मोदी के साथ भारत से फरार हो गया. . 2022 में उसके खिलाफ पांच और मामले दर्ज किये गये.
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