Surjit Singh
कोरोना महामारी ने केंद्र व राज्य की सत्ता के चेहरे से नकाब उतार दिया है. स्वास्थ्य सुविधाओं की ढोल पीटने वाली सरकारों का ढोल फट चुका है. राष्ट्र और राज्य के स्तर पर एक अजीब बात देखने को मिली है. जहां विपक्ष है, वहां सरकार पर हमले कर रहा है. जो सत्ता में है, वह विपक्ष पर महामारी की राजनीति का आरोप लगा रहा है. पर वही दल जहां विपक्ष में है, वहां वही काम कर रहा है. इसमें सब दल शामिल हैं. भाजपा, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी से लेकर टीएमसी, जदयू, झामुमो समेत अन्य पार्टियां. सत्ता विपक्ष को साथ में लेकर चलने को ना तो केंद्र में तैयार है और ना राज्यों में.
ऐसे वक्त में नव निर्वाचित तमिलनाडु की सरकार ने केंद्र व राज्यों की सरकार को एक सीख देने का काम किया है. तमिलनाडु की नई सरकार ने उन सभी दलों, जिनके नेता विधायक चुने गये हैं, कुल 13 दल, के एक-एक सदस्य की समिति बनायी है. समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री एक के स्टॉलिन खुद हैं. इसका नाम ऑल पार्टी समिति रखा गया है. इस समिति की काम कोविड से निपटने के लिए सरकार को सुझाव देना है. समिति में तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री व सचिव रहे अधिकारी को भी शामिल किया गया है. ताकि वह अपने अनुभवों को साझा कर सके.
क्या आप केंद्र सरकार, यूपी सरकार, बिहार सरकार, झारखंड सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक समेत दूसरे राज्यों की सरकारों से यह उम्मीद कर सकते हैं. शायद नहीं. क्योंकि यहां सत्ता में बैठने वाले अहंकार से भरे पड़े हैं. वो अब भी नहीं समझ पा रहे हैं, जब कोरोना महामारी दलों व इंसानों में कोई भेद किये बिना सबको संक्रमित कर रहा है, तो उससे लड़ाई में भी सबका साथ होना जरुरी है. इस विपत्ति के समय किसी भी लोकतंत्र में महामारी से साझा युद्ध जरूरी हो जाता है.
तो केंद्र व राज्यों में हो क्या रहा है. हो यह रहा है कि सत्ता पक्ष कुछ काम कर रहा है, तो विपक्ष उसकी कमियां गिना रहा है. सत्ता पक्ष की गलती को मुद्दा बना रहा है. और सत्ता पक्ष विपक्ष से बचने और विपक्ष पर ही दोष मढ़ने में ज्यादा ध्यान लगा रहा है. और नुकसान हो रहा है आम जनता का. इसलिए जरुरी है कि सत्ता पक्ष बड़ा दिल दिखाते हुए विपक्ष समेत सभी दलों को साथ लेकर इस महामारी से लड़े. श्रेय लेने की होड़ में ना फंसे. ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत मिल सके.