- उपायुक्त को बताया – यहां शिक्षा की है दयनीय स्थिति, राशन वितरण में भी घोर धांधली
Chaibasa/Ranchi : अर्थशास्त्री व सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज़ और रीतिका खेड़ा ने 24-25 अप्रैल 2022 को खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम के कार्यकर्ताओं के साथ जिले के कई गांवों का दौरा किया. इस दौरान विद्यालयों में शिक्षा की दयनीय स्थिति और जन वितरण प्रणाली में घोर अनियमितता पाई गई. दल ने उपायुक्त से 25 अप्रैल को मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराया और कार्यवाही की मांग की. उपायुक्त को पत्र भी सौंपा गया.
बच्चों में शैक्षणिक क्षमता दयनीय
ज्यां द्रेज और रीतिका खेड़ा के साथ दल ने दो दिनों तक सदर व टोंटो प्रखंडों के कई सरकारी विद्यालयों का भी भ्रमण किया. पाया गया कि क्लास 5 के बच्चे सरल शब्द पढ़ने में भी असक्षम हैं. इन बच्चों के ड्राप-आउट होने की काफी संभावना है. लेकिन इस स्थिति को सुधारने के लिए किसी भी विद्यालय में प्रशासन की ओर से कुछ विशेष पहल नहीं दिखी. दल का मानना है कि ऐसी परिस्थिति में तुरंत विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की ज़रूरत है. कम-से-कम अगले एक साल तक बच्चों के लिए विद्यालय के बाद अतिरिक्त क्लास की व्यवस्था होनी चाहिए. ज़िले में विशेष साक्षरता अभियान चलाने की ज़रूरत है, जिससे प्रशासन व जनता में इस मुद्दे पर सजगता आए और सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो. गौर करें कि खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच ने कई बार इसकी मांग की है.
सेंट्रलाइज्ड किचन व्यवस्था का विरोध
दल ने जिले के विभिन्न प्रखंडों के ग्रामीण विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में सेंट्रलाइज्ड किचन व्यवस्था शुरू करने के निर्णय से होने वाले खतरों और घाटे के विषय में भी उपायुक्त को अवगत कराया. कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सेंट्रलाइज्ड किचन से दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुश्किल होगा. निम्न संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता है –
1) वर्तमान मध्याह्न भोजन व्यवस्था में अनियमितता बढ़ेगी
2) भोजन खाराब हो सकता है (खास कर के गर्मी के मौसम में)
3) बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों का मध्याह्न भोजन की नियमितता व गुणवत्ता पर नियंत्रण नहीं रहेगा
4) सैकड़ों रसोइया बेरोजगार हो जायेंगी. दल ने उपायुक्त से मांग की है कि ग्रामीण विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में सेंट्रलाइज्ड किचन व्यवस्था शुरू करने के निर्णय पर पुनः विचार की जरूरत है.
जन वितरण प्रणाली में अनियमितताएं
टोंटो प्रखंड के कैनुआ और सनकुचिया में पाया गया कि राशन डीलर कार्डधारियों को 10 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह अनाज के बजाय 5 किलो से भी कम अनाज दे रहा है, जबकि ऑनलाइन व्यवस्था में पूरी मात्रा दर्ज कर रहा है. ग्रामीणों ने राशन न मिलने व इस गड़बड़ी की शिकायत कई बार जिला प्रशासन से भी की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
सनकुचिया में दिखा अनाज गबन का स्पष्ट उदहारण
सनकुचिया में 94 राशनकार्डों में मार्च महीने की दर्ज मात्रा और ऑनलाइन वितरण सूची (पॉश मशीन के आधार पर दर्ज) के अंकेक्षण से पाया गया कि डीलर ने केवल ऑनलाइन वितरण में दर्ज सूची का केवल एक-तिहाई राशन ही कार्डधारियों को दिया था. यह तो अनाज गबन का स्पष्ट उदहारण है. दल ने मांग की है कि सनकुचिया के राशन डीलर के विरुद्ध तुरंत कार्यवाई की जाए (लाइसेंस रद्द करना, गबन किए अनाज की वसूली आदि). ऐसी स्थिति सिर्फ दो गांवों तक ही सीमित नहीं है. खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच के कार्यकर्ता जिले के कई गावों में ऐसी ही स्थिति पा रहे हैं.
दल ने उपायुक्त से निम्न मांग की
1) भ्रष्ट डीलरों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के साथ पर्याप्त प्रचार-प्रसार हो.
2) उपायुक्त समेत अन्य ज़िला स्तरीय पदाधिकारियों (जो राशन वितरण व्यवस्था से नहीं जुड़े हैं) द्वारा नियमित रूप से राशन दुकानों का औचक निरिक्षण किया जाये.
3) लोगों के मूल राशन संबमधित अधिकार व PMGKAY अंतर्गत 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह की जानकारी का व्यापक प्रचार प्रसार हो.
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