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चाईबासा DC और DMO को तीन साल तक नहीं मिली रद्द हो चुके खदानों के खनिजों को नीलाम करने की अनुमति

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Ranchi: चाईबासा के उपायुक्त और जिला खनन पदाधिकारी (DMO) को रद्द व लीज समाप्त हो चुकाने खदानों से निकाले गये खनिजों की नीलाम करने की अनुमति नहीं मिली. इससे रायल्टी और डीएमएफटी के रूप में मिलने वाले 50.62 करोड़ रुपये का राजस्व फंसा रहा. महालेखाकार ने आयरन ओर (Iron ore) के ऑडिट के दौरान इन तथ्यों का उल्लेख अपनी रिपोर्ट में किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चाईबासा के उपायुक्त और जिला खनन पदाधिकारी ने वर्ष 2020 में खान भूतत्व विभाग को एक सूचना भेजी थी. संबंधित अधिकारियों की ओर से जनवरी 2020 में विभाग को भेजी गयी सूचना में कहा गया था कि 31 मार्च 2020 को आयरन ओर और मैगनीज की कुल 10 खदानों के लीज की अवधि समाप्त होने वाली है. इसमें कुछ ऐसे खदान भी हैं जिनका लीज बकाया रायल्टी और अवैध खनन की वजह से रद्द किया गया है.

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इसके बाद उपायुक्त और जिला खनन पदाधिकारी की ओर से अप्रैल से अक्तूबर 2020 के बीच यह सूचना दी गयी कि इसमें से लीज के सात मामले ऐसे हैं जिसमें खनिजों की नीलामी कर पैसों की वसूली की जा सकती है. ऑडिट के दौरान यह पाया गया कि खान विभाग ने उपायुक्त और जिला खनन पदाधिकारी द्वारा खनिजों को नीलाम कर राजस्व वसूली के मामले में जिला को कोई सूचना नहीं दी.

इसके बाद जिला खनन पदाधिकारी ने मई 2021 में खान भूतत्व विभाग को फिर सूचना भेजी. इसमें जिला खनन पदाधिकारी ने 16 लीज धारकों द्वारा छोड़े गये खनिजों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट भेजी. जिला खनन पदाधिकारी ने इससे संबंधित सूचना भेजने के साथ ही खनिजों की नीलामी की अनुमति भी मांगी. 

ऑडिट में खान विभाग और जिला खनन पदाधिकारियों के रेकार्ड के ऑडिट के दौरान पाया कि जिला खनन पदाधिकारी ने मई 2021 में 16 लीज धारकों द्वारा छोड़े गये खनिजों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट खान विभाग को भेजी. साथ ही खनिजों को नीलाम कर पैसा वसूलने की अनुमति मांगी. ऑडिट ने जांच में पाया कि विभाग ने नवंबर 2023 तक जिला खनन पदाधिकारी या उपायुक्त को खनिजों की नीलामी कर पैसों की वसूली का आदेश नहीं दिया. इससे सरकार को रायल्टी और डीएमएफटी के रूप में मिलने वाले 50.62 करोड़ रुपये का राजस्व फंसा रहा.

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ऑडिट के दौरान महालेखाकार ने चाईबासा के 10 लीजधारकों द्वारा दायर किये गये रिटर्न की जांच की गयी. इसमें पाया गया कि एक लीजधारी ने 2017-20 तक की अवधि में 18.79 लाख एमटी आयरन ओर डिस्पैच किया था. इसके अलावा 0.4 लाख एमटी मैंगनीज भी डिस्पैच किया था. इस पर 38.57 करोड़ रुपये लगायी गयी थी. इस पर 39.65 करोड़ रुपये रायल्टी लगाया जाना चाहिए था. आडिट में इस बात की जानकारी मिली कि मासिक रिटर्न की जांच के लिए कोई ऑटोमेटेड सिस्टम नहीं होने की वजह से 1.42 करोड़ रुपये रायल्टी कम लगाया गया.

रायल्टी और नीलामी का नियम

खान और खनिजों से संबंधित नियम में आयरन ओर पर 15 प्रतिशत और मैंगनीज पर पांच प्रतिशत की दर से रायल्टी लगाने का नियम है. आयरन ओर खदानों का लीज रद्द होने या समाप्त होने के बाद निर्धारित समय सीमा में लीज धारक को संरचना और खनिजों को छह महीने के अंदर हटाना पड़ता है. इस समय सीमा में सरंचना या खनिजों को नहीं हटाने पर यह सरकार की संपत्ति हो जाती है. इसके बाद सरकार इसे नीलाम कर राजस्व की वसूली कर सकती है.

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