chaibasa : मझगांव प्रखंड मुख्यालय के कृषि भवन में मनरेगा योजना के लोकपाल अरुण अभारकर की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में उन्होंने विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि मनरेगा से जुड़े लोग हमारे अपने हैं, इसलिये श्रमिक शब्द का प्रयोग न कर उनके लिये सम्मान जनक शब्द का प्रयोग करना चाहिये. मनरेगा में लापरवाही नहीं होनी चाहिये. मनरेगा ठेकेदारी नहीं बल्कि एक कानून है. इसके माध्यम से गांव के अंतिम व्यक्ति के पास लाभ पहुंचाना है, ताकि गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सके और क्षेत्र के ग्रामीण पलायन ना करें, उन्होंने कहा कि इस योजना में सबसे ज्यादा खामियां कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा की जाती है. उन्होंने सुझाव दिया कि आप सभी ईमानदारी के साथ कार्य करें नहीं तो आप पर कार्यवाई की जाएगी.
इसे भी पढ़ें : पटमदा : लाल डूंगरी के एक दर्जन परिवार पहाड़ी से एक किमी नीचे उतरकर लाते हैं पीने का पानी
बीपीओ को निर्देश दिया कि अगर कोई मेट कार्य नहीं करता है तो उनकी जगह कार्य करने वाले ईमानदार मेट का चयन करें. मनरेगा योजना का लाभ लोगों को मिले ना कि ठेकेदार को. मौके पर बीडीओ जोसेफ कंडुलना, कृषि पदाधिकारी सिरप बाष्के, प्रभारी बीपीआरओ अकबर अंसारी, मनरेगा बीपीओ अनमोल रतन टोपनो, कनीय अभियंता महेश महतो, विकास बोदरा, पंचायत मुखिया, पंचायत सचिव, मनरेगा कर्मी और पंचायत मुखिया उपस्थित थे.
Leave a Reply