Ranchi: झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में बड़े घोटाले की जमीन तैयार है. नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार बैक के निदेशक मंडल के कुल 14 सदस्यों में 3 को वैध बताया जा रहा है. प्राप्त सूचना के अनुसार बैक में किये गये अनियमितता को छुपाने के लिये बोर्ड बैठक को टला जा रहा है. जब बोड की बैठक ही नहीं की जा रही है ऐसे में अध्यक्ष के द्वारा लिये जा रहे नीतिगत फैसलों की वैधानिकता पर सवाल उठ रहे हैं.
बैंक की तरफ से झारखंड सरकार और सहकारिता विभाग ने आंखें बंद कर रखी है. कुछ निदेशकों द्वारा बैक को मनमाने तरीके से चलाया जा रहा है. इससे बैंक के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. निदेशक मंडल के मौजूदा सदस्यों में कई को नाबार्ड ने डिफॉल्टर करार दिया है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में तैयार है घोटाले की जमीन, बोर्ड की मंजूरी बिना हो रहा भुगतान
निदेशक मंडल के पांच सदस्य दे चुके हैं इस्तीफा
बैक के वर्तमान निदेशक मंडल के पांच सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं. इस्तीफा देने वाले सदस्यों में बास्को बेसरा, कौशल्य कुजूर, सुनयना पाठक, शंभू चरण कर्मकार और प्रभात कुमार सिंह शामिल हैं. इन पांच में से सुनयना पाठक और कौशल्या कुजूर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. तीन अन्य सदस्यों के इस्तीफे पर अध्यक्ष ने अभी तक फैसला नहीं लिया है. वहीं शंभू चरण कर्मकार द्वारा इस्तीफा वापस लिये जाने की जानकारी मिली है.
क्या है वर्तमान में निदेशक मंडल की स्थिति
अध्यक्ष अभयकांत प्रसाद- अभयकांत प्रसाद जरमुंडी लैम्पस के प्रतिनिधि के तौर पर निदेशक मंडल में चुने गये थे. जिस समिति का वह प्रतिनिधित्व करते हैं वह समिति के 2017 में ही डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है.
निदेशक शंभुशरण कर्मकार- इन पर कई तरह के आरोप हैं. फेकलोन देने का आरोपी भी है. इन पर लंबे समय से बैक का ओवरड्राफ्ट बकाया है.
निदेशक नगिना सिंह- जिस समिति के प्रतिनिधि नगिना सिंह हैं, उस समिति को 4 मई 2021 को नाबार्ड ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है.
इसे भी पढ़ें-झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर उठ रहे सवाल, 5 निदेशक दे चुके हैं इस्तीफा
निदेशक रघुनाथ यादव- रघुनाथ यादव पोस्तवारी लैम्पस के प्रतिनिधि के रूप में बैंक के निदेशक मंडल में चुने गये हैं. 4 मई 2021 को पोस्तवारी लैम्पस नाबार्ड ने इन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया है.
निदेशक बास्को बेसरा- त्यागपत्र दे चुके है लेकिन इनका इस्तीफा अध्यक्ष के द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने की सूचना है. जिस समिति के प्रतिनिधि बास्को हैं, वह भी डिफॉल्टर हैं.
निदेशक सुरेन्द्र यादव- ढाई वर्षो से चुनाववाद लंबित
निदेशक सुनयना पाठक- त्यागपत्र स्वीकृत
निदेशक कौशिल्या कुजूर- त्यागपत्र दे चुकी हैं.
निदेशक प्रभात कुमार सिंह- त्यागपत्र दे चुके हैं.
निदेशक निशा उरांव- कृषि निदेशक झारखंड सरकार की प्रतिनिधि
निदेशक प्रेम प्रकाश- कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में नियुक्त लेकिन नियुक्ति की बोर्ड की संपुष्टि नहीं.
2019 में बैक को हुआ था 70 करोड़ का घाटा
झारखंड स्टेट कोऑपरेरिव बैंक करीब 2200 करोड़ की पूंजीवाला बैक है. इस बैंक में झारखंड के गरीब किसानों और जमाकर्ताओं के करीब 1700 करोड़ रुपये जमा है. बैंक से करीब 500 करोड़ रुपये ऋण के रूप में दिया गया है. बैंक 2019 तक भारी घाटे में चल रहा था. बैंक को 2019 में करीब 70 करोड़ का नुकसान हुआ. वहीं निदेशक मंडल की बैठक नहीं होने के कारण बैक के कई नीतिगत निर्णय भी नहीं लिये जा रहे हैं. अध्यक्ष अभयकांत प्रसाद और एक निदेशक शंभूचरण कर्मकार के आदेश पर महाप्रबंधक ने 3 करोड़ 76 लाख का बोगस भुगतान डाटा सेंटर के नाम पर कर दिया. जबकि बैंक के निदेशक मंडल ने डाटा सेंटर बनाने का निर्णय नहीं लिया था.