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अब मिट्टी के सामान में ज्यादा फायदा नहीं रह गया: कन्हैया
[caption id="attachment_442802" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="205" /> मिट्टी से बने खिलौने को रंगती एक महिला.[/caption] वार्ड संख्या सात के टाउन काली मंदिर के पीछे, टोकलो रोड, दंदासाई व क्षेत्रों में मिट्टी के सामान बनाए जाते हैं. चक्रधरपुर के वार्ड संख्या चार कुम्हारपट्टी में मिट्टी का काम करने वाले कन्हैया प्रजापति ने कहा कि पहले की तुलना अब मिट्टी के सामान में ज्यादा फायदा नहीं रह गया है. मिट्टी, लकड़ी इत्यादि के दाम बढ़ने से सामानों का दाम भी बढ़ा है, लेकिन ग्राहक इस बात को नहीं समझ पाते हैं. इलेक्ट्रॉनिक लाइटों से भी कामकाज पर प्रभाव पड़ा है. दीपावली के समय हमारा काम बढ़ जाता है, लेकिन पहले जैसी अब बात नहीं रही. कन्हैया ने बताया कि हमारे बच्चे अब मिट्टी से जुड़े काम नहीं करना चाहते हैं. पूर्वजों से जो सिलसिला चलता आ रहा था उसे वह तो निभा रहे हैं, आगे नहीं पता कि बच्चे यह काम करेंगे या नहीं.
बारिश से कामकाज प्रभावित
[caption id="attachment_442799" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="205" /> मिट्टी से बनाए गए सामानों को सुखाता एक कुम्हार.[/caption] पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण काम पर प्रभाव पड़ा हुआ है. मिट्टी के दीए, बर्तन इत्यादि बनाने का इस बार देर से शुरू हुआ है. बारिश रुकने पर कुम्हार मिट्टी से बनाए गए सामानों को सुखाने में जुट जाते हैं. एक कुम्हार ने बताया की अगर एक दो दिन इसी तरह बारिश हुई तो भारी नुकसान उठाना पड़ जाएगा. इसे भी पढ़ें: दुमका">https://lagatar.in/dumka-again-found-dead-body-of-a-minor-tribal-girl-hanging-from-a-tree/">दुमका
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