Chakradharpur (Shambhu Kumar) : चक्रधरपुर के अनुमंडल अस्पताल में इलाजरत एक मरीज की मौत गुरुवार की देर रात हो गई. इसे लेकर मरीज के परिजन व स्थानीय लोगों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. लोगों ने अस्पताल के ऑन ड्यूटी डॉक्टर नंदू होनहागा व अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. बताया जाता है कि चक्रधरपुर के वार्ड संख्या आठ टोकलो रोड निवासी मुकेश नायक उर्फ मिथुन के सिर में दर्द व कमजोरी होने पर परिजन उसे इलाज के लिए चक्रधरपुर के अनुमंडल अस्पताल लेकर पहुंचे. वहां मौजूद डॉक्टर नंदू होनहागा ने मरीज को कमजोर बताते हुये आरएल स्लाइन चढ़ाया. साथ ही अस्पताल में दवा नहीं होने के कारण डेक्सोना व अन्य एंटीबायटिक्स दवा बाहर से लाने को कहा. जब मुकेश नायक को स्लाइन चढ़ाया जा रहा था, इसी बीच उसके हाथ में लगे स्लाइन का पाइप निकल गया. इसके बाद मुकेश नायक के पास बैठे उसके भाई ने अस्पताल में ड्यूटी में तैनात सोनी कच्छप व प्रतिमा सिन्हा के पास जाकर इसकी जानकारी दी, लेकिन तत्काल नर्स मुकेश नायक के पास नहीं पहुंचे. मुकेश नायक के भाई ने बताया कि नर्स व डॉक्टर को कई बार जाकर इस बारे में बताया, लेकिन उन्होंने यह कहकर भेज दिया कि अस्पताल में ढेर सारे मरीज हैं, आपके मरीज के पास ही क्या बार-बार स्वास्थ्यकर्मी आते रहेंगे. काफी देर तक न तो डॉक्टर और न ही कोई भी अन्य स्वास्थ्यकर्मी मुकेश नायक के पास पहुंचे. इससे मुकेश नायक का शरीर ठंडा पड़ने लगा और उसकी मौत हो गई. मुकेश नायक की मौत के बाद एक नर्स वहां पहुंची और हाथ में खुले स्लाइन के पाइप को लगाया. परिजनों ने कहा कि अगर डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा लापरवाही नहीं बरती जाती तो उसकी जान नहीं जाती. इससे नाराज परिजन व मौजूद अन्य लोग हंगामा करने लगे. इसकी सूचना मिलने पर अंजुमन इस्लामिया के सचिव बैरम खान, समाजसेवी बसंत महतो व अन्य अस्पताल पहुंचे और मरीजों के परिजनों से जानकारी ली. वहीं अस्पताल में हंगामा होने की सूचना पर चक्रधरपुर थाना प्रभारी चन्द्रशेखर कुमार भी पहुंचे और हंगामा कर रहे परिजनों व लोगों को खदेड़ा. थाना प्रभारी चन्द्रशेखर कुमार ने कहा कि अगर मरीज की मौत डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही से हुई है तो हंगामा करना उचित नहीं, अस्पताल में अन्य मरीज भी हैं. इससे अस्पताल की विधि व्यवस्था भी बिगड़ रही है. अस्पताल में रात लगभग 12 बजे तक हंगामा होने के बाद परिजन शव लेकर चले गए.
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अस्पताल में नहीं हैं जरुरत की दवाएं
परिजनों ने बताया कि अस्पताल में मुकेश को जब लाया गया था तो उसकी स्थिति बेहद गंभीर नहीं थी. वह सबसे बात कर रहा था. साथ ही उसने बिस्कुट इत्यादि भी खाये थे. अस्पताल के डॉक्टर द्वारा अस्पताल में दवा नहीं होने की बात कहकर दवा लाने को कहा गया. अगर अस्पताल में दवा होती तो उसका इलाज बेहतर तरीके हो सकता था. डॉक्टर द्वारा मोनोसेफ व अन्य बाहर से लाने को कहा गया था, जिसे बाहर से लाकर अस्पताल में दिया गया था. साथ ही अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण कुर्सी पर ही मुकेश का इलाज किया जा रहा था.
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