Ghatshila : पतझड़ का मौसम शुरू होते ही चाकुलिया वन क्षेत्र के जंगलों में वनोत्पाद चुनने की मौसम ने दस्तक दे दी है. साल, काजू और महुआ के वृक्ष फूलों से लद गए हैं. अप्रैल माह तक काजू के वृक्ष फलों से लद जाएंगे और ग्रामीण काजू के बीज को तोड़ना शुरू कर दिया जाएगा. इसी तरह साल के बीज और महुआ के फूल भी झड़ने लगेंगे और ग्रामीण इन्हें चुनने में व्यस्त हो जाएंगे. उल्लेखनीय हो कि इस क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था वनोत्पाद पर आधारित है. वनोत्पाद ग्रामीणों की आर्थिक आय का प्रमुख जरिया है.
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छोटे-छोटे फल निकलने लगे हैं
चाकुलिया वन क्षेत्र में काजू के वृक्ष फूलों से लद गए हैं और छोटे-छोटे फल निकलने शुरू हो गए हैं. चाकुलिया वन क्षेत्र में लगभग 3500 हेक्टेयर वन भूमि और रैयत भूमि पर काजू के जंगल हैं. इस वन क्षेत्र में साल जंगल भी बहुतायत हैं. अप्रैल माह के अंत तक साल वृक्षों के फूल झड़ने लगेंगे और ग्रामीण साल के बीज चुनने में मस्त हो जाएंगे. विदित हो कि इस इलाके में साल का बीज एक महत्वपूर्ण वनोत्पाद है. इसके बीज को चुनकर ग्रामीण बेचते हैं. इससे उन्हें आमदनी होती है. ज्ञात हो कि साल के बीज के तेल से दवाइयां बनाई जाती हैं.
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कीमती चॉकलेट बनाने में प्रयोग होता है साल का बीच

विदेशों में साल के बीज का प्रयोग कीमती चॉकलेट बनाने में भी होता है. साल बीच पर आधारित उद्योग नहीं होने के कारण यहां के जंगलों में उत्पादित साल के बीज को ग्रामीणों से खरीद कर स्थानीय छोटे व्यापारियों को बेचते हैं और छोटे व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचते हैं. महुआ भी एक प्रमुख वनोत्पाद है. जंगलों में ग्रामीण महुआ का फूल चुनकर सुखाते हैं और उसे व्यापारियों को बेचते हैं.
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