उन्होंने भविष्य में संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान के अगले चरण की शुरुआत करने की घोषणा की. जिसमें वीर सिदो-कान्हू और वीरांगना फूलो-झानो को याद किया जाएगा. सोरेन ने कहा कि सरकारें बदलती रहेंगी, लेकिन आदिवासी समाज की पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए यह प्रयास जारी रहना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह जनसांस्कृतिक धरोहर नहीं बची, तो एक बार फिर "उलगुलान" का आगाज होगा. इस सामाजिक अभियान के तहत चंपाई सोरेन ने स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे इस दिशा में सामूहिक रूप से एकजुट होकर काम करें, ताकि उनके अधिकारों और धरोहरों की रक्षा हो सके. इसे भी पढ़ें - 26">https://lagatar.in/hemant-soren-can-take-oath-as-cm-on-november-26-mamta-rahul-akhilesh-tejashwi-are-likely-to-attend/">26जोहार साथियों, जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है। हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) November">https://twitter.com/ChampaiSoren/status/1860627769614299227?ref_src=twsrc%5Etfw">November
24, 2024
नवंबर को हेमंत सोरेन ले सकते हैं सीएम पद की शपथ, ममता, राहुल, अखिलेश,तेजस्वी के शामिल होने की संभावना [wpse_comments_template]