Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में चल रहे गैर कानूनी धंधों पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर लोगों ने संदेह जताया है. लोगों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का काम है समाज को साफ व स्वच्छ रखते हुए सामाजिक समरसता के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ाना. लेकिन चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में उल्टी बह रही विकास की गंगा पर सभी चुप हैं. आखिर गलत धंधों को प्रोत्साहित कर जनप्रतिनिधि समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि क्षेत्र में गोरखधंधे करने वाले और जमीन के मालिक भी किसी ना किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं, अपने कार्यकर्ताओं को खुश रखने के कारण जनप्रतिनिधि भी आंख बंद कर रखे हैं.
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आए दिन खुल रहे अवैध डीपो
टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे होटलों की आड़ में आए दिन अवैध डीपो खुलते जा रहे हैं. चौका और ईचागढ़ थाना क्षेत्र में औसतन हर तीसरे होटल की आड़ में अवैध धंधा किया जा रहा हैं. पुलिस-प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है या तो उनकी मिली भगत हो सकती है. स्थानीय सांसद केंद्र में सत्ताधारी दल से हैं और विधायक राज्य के सत्ताधारी दल से हैं. हो सकता है कि पुलिस-प्रशासन पर कार्रवाई नहीं करने के लिए राजनीतिक दबाव दिया जा रहा हो. बहरहाल मामला कुछ भी हो सकता है लेकिन, क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे अवैध कारोबारों का प्रतिकुल असर पड़ रहा है. क्षेत्र के युवा कम मेहनत से अधिक कमाने के लिए गैर कानूनी कारोबार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
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विरोध करने पर दी जाती है धमकी
स्थानीय स्तर पर गोरखधंधों का विरोध करने पर लोगों को संचालकों की ओर से धमकी दी जाती है. पुलिस-प्रशासन की ओर से अभयदान प्राप्त कारोबारी ग्रामीणों को तुक्ष्य समझते हैं. क्षेत्र के गैर कानूनी कारोबार करने वाले अधिकांश कारोबारी क्षेत्र के बाहर से हैं और अपने आपको किसी डॉन से कम नहीं समझते हैं. ग्रामीण स्तर पर जब लोग ऐसे अवैध करोबार का विरोध करते है तो उन्हें झूठे मामलाें में फंसाने और मारने-पीटने की धमकी दी जाती है. लोग शोसल मीडिया के माध्यम से भी ऐसे गैर कानूनी कार्यो का विरोध करते आ रहे हैं. ऐसे कई मामलों में होटल संचालक और जमीन मालिक भी ढाल बनकर कारोबारियों के सामने खड़े हो जाते हैं.
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