Ranchi : लोक आस्था का महापर्व चैत्री छठ आज (12 अप्रैल) को नहाय खाय के साथ शुरू हो जायेगा. 4 दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होता है. छठ महापर्व में नहाय खाय का खास महत्व है. इस दिन व्रती शुद्ध होकर व्रत की शुरुआत करते हैं. इसके बाद छठ संपन्न होने के बाद ही व्रती भोजन करते हैं. नहाय खाय के दिन ही छठ में चढ़ने वाला खास प्रसाद (ठेकुआ) के लिए गेंहू धोकर सुखाया जाता है.
नहाय खाय के दिन व्रती खाते हैं सात्विक भोजन
छठ पूजा में सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन से घर में लहसुन-प्याज बनना बंद हो जाता है. नहाय खाय के दिन मिट्टी और आम की लकड़ी वाले चूल्हे में अरवा चावल, चना दाल और कद्दु की सब्जी बनायी जाती है. खाना बनाने में घी और सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. सूर्य भगवान को भोग लगाने के बाद व्रती भोजन करते हैं. इसके बाद घर के सभी लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रती बिस्तर के बजाय जमीन में सोते हैं.
लौकी और चने की दाल खाने का विशेष महत्व
बता दें कि नहाय खाय के दिन विशेष तौर पर लौकी की सब्जी बनती है. इसके पीछे यह मान्यता है कि लौकी काफी पवित्र होता है. साथ ही इसमें पर्याप्त मात्रा (96 फीसदी) में पानी होता है. इसको खाने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. इतना ही नहीं लौकी खाने से बहुत सारी बीमारियां भी दूर होती हैं. नहाय खाय में चने की दाल खाने का भी विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि चने की दाल बाकी दालों की तुलना में सबसे अधिक शुद्ध होती है. इसको खाने से ताकत भी मिलता है.