LagatarDesk : उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर लोक आस्था का महापर्व आज (11 नवंबर) को संपन्न हुआ. छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है. इस दिन सूर्योदय के समय उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 04 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 03 मिनट पर होगा.
पारण कर व्रती उपवास को करती हैं पूरा
अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण कर निर्जला उपवास को पूरा करती हैं. परंपरा के अनुसार, छठ के दूसरे दिन सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य देकर धन, धान्य और आरोग्य की कामना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है.
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता
स्कंद पुराण के अनुसार, राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था. उन्हें कुष्ट रोग हो गया था. इस रोग से मुक्ति के लिए भगवान भास्कर ने भी छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है. वर्षकृत्यम में भी छठ की महत्ता की चर्चा है.
पिछले साल की तुलना में घाटों पर अधिक रही भीड़
पिछले साल कोरोना महामारी के कारण छठ घाटों में थोड़ी कम भीड़ थी. वहीं कुछ लोगों ने घर में ही सूर्य देवता को अर्घ्य दिया था. लेकिन इस बार घाटों में काफी भीड़ देखने को मिली. श्रद्धालुओं ने इस बार भी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया.