व्रती शुद्ध होकर करती है व्रत की शुरुआत
4 दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व की शुरूआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ होता है. नहाय खाय का खास महत्व होता है. इस दिन व्रती शुद्ध होकर व्रत की शुरूआत करती है. नहाय खाय के दिन ही छठ में चढ़ने वाला खास प्रसाद (ठेकुआ) के लिए गेंहू को धोकर सुखाया जाता है. इसे भी पढ़े : छत्तीसगढ़">https://lagatar.in/chhattisgarh-crpf-jawan-opened-fire-in-sukma-4-killed-three-injured/">छत्तीसगढ़: सुकमा में CRPF जवान ने की फायरिंग, 4 जवान की मौत, तीन घायल
नहाय खाय के दिन व्रती खाती हैं सात्विक भोजन
छठ पूजा में सफाई और शुद्धा का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन से घरों में लहसुन और प्याज नहीं बनता है. नहाय खाय में व्रती विशेष रूप से अरवा चावल, चना का दाल और कद्दु की सब्जी खाती है. यह खाना घी में बनाया जाता है. इस दिन खाना बनाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. इस खाने को सबसे पहले व्रती खाती हैं. उसके बाद घर के सभी लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रती बिस्तर के बजाय जमीन में सोती है. इसे भी पढ़े : सुबह">https://lagatar.in/morning-news-diary-8-november-2021/">सुबहकी न्यूज डायरी।।ननिहाल पहुंचे सीएम।।NIA की रेड।।प्रेमी जोड़े ने मांगी सुरक्षा।।आर्यन को दोबारा समन।।समेत कई खबरें और वीडियो
लौकी खाने के पीछे है विशेष मान्यता
नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी बनती है. ऐसी मान्यता है कि लौकी काफी पवित्र होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में जल भी होता है. लौकी में करीब 96 फीसदी पानी होता है. चने की दाल खाने का भी विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि चने की दाल बाकी दालों में सबसे अधिक शुद्ध होती है. इसको खाने से ताकत भी मिलती है.मिट्टी या लकड़ी के चुल्हे में बनाया जाता है खाना
नहाय खाय के दिन बनने वाला खाना मिट्टी और लकड़ी के चूल्हे में बनाया जाता है. इसमें केवल आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन खाना बनाकर पूजा की जाती है और सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है. इसे भी पढ़े : विश्रामपुर">https://lagatar.in/jagran-program-held-in-vishrampur-artists-sang-songs/">विश्रामपुरमें हुआ जागरण कार्यक्रम, कलाकारों ने गाये गीत [wpse_comments_template]
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