Virendra Rawat
Ranchi : राज्य सरकार ने झारखंड के सभी स्कूलों को 7 मार्च से खोलने का आदेश जारी कर दिया था. बावजूद इसके सीबीएसई के लगभग 100 से अधिक वैसे स्कूल हैं, जो सरकार के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं. रांची के 100 से अधिक वैसे स्कूल हैं, जहां फिलहाल कक्षा 1 से लेकर छह तक के विद्यार्थी स्कूल खुलने के बाद भी घरों पर ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि स्कूल प्रशासन द्वारा कक्षा 1 से लेकर 6 तक के विद्यार्थियों के पठन-पाठन का कार्यक्रम स्कूल खुलने के बाद भी ऑनलाइन चला रहा है. इसका मुख्य कारण स्कूल प्रशासन की मनमानी है. अभिभावक संघ के सदस्यों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रांची के अधिकांश स्कूल किताब, कॉपी, यूनिफॉर्म, आईडी कार्ड, टाई समेत कई प्रकार की वस्तु की बिक्री में मिलने वाले कमीशन के कारण अब तक स्कूल नहीं खोले हैं. 2 साल से स्कूल प्रशासन द्वारा एनुअल और डेवलपमेंट चार्ज के नाम पर अभिभावकों से लाखों रुपए वसूला जा रहा है.
राज्य सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया
अभिभावकों का कहना है कि जब पूरे विश्व में कोरोना कहर ढा रहा था और सभी डेवलपमेंट कार्य बंद था, उस दौरान स्कूल प्रशासन कौन सा विकास कार्य कर रहा था. 2020 से लेकर 2021 तक स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावकों से इसके नाम पर लाखों रुपए की वसूली की गई है. इस वसूली को रोकने के लिए अभिभावकों ने कई बार शिकायतें भी की, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
इसे भी पढ़ें – सदन के बाहर भावुक हुए लोबिन हेंब्रम, कहा- गुरुजी से करूंगा शिकायत, खतियान झारखंडियों का लाइसेंस है
स्कूल यूनिफार्म 2 साल में हो चुके हैं छोटे, किताब हो गये हैं पुराने
अभिभावकों ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से स्कूल कोविड-19 के कारण बंद था. अब स्कूल खुला है तो अधिकांश विद्यार्थियों के यूनिफार्म छोटे हो गये हैं और किताबें पुरानी हो गयी हैं. 2 वर्षों बाद स्कूल प्रशासन द्वारा एनुअल चार्ज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है. इसके अलावा अभिभावकों पर यूनिफॉर्म, किताब, कॉपी, आईडी कार्ड को लेकर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. अभिभावकों की मांग है कि पुरानी किताबों से ही विद्यार्थियों की पढ़ाई स्कूल प्रशासन चालू रखे. साथ ही स्कूल यूनिफार्म की खरीदारी के लिए अभिभावकों दबाव न डाले.
कई स्कूल विद्यार्थियों को कर रहे हैं डिफॉल्टर घोषित, अभिभावकों में रोष
जेवीएम श्यामली, डीएवी हेहल, गुरु नानक, डीपीएस, सुरेंद्रनाथ जैसे बड़े सीबीएसई स्कूल अभिभावकों द्वारा समय पर फीस जमा नहीं करने पर विद्यार्थियों के नाम डिफॉल्टर नोटिस जारी कर रहा है. इस डिफॉल्टर नोटिस के जारी करने से अभिभावकों में काफी रोष है. उनका कहना है कि डिफॉल्टर शब्द से किसी विद्यार्थी को संबोधित नहीं करना चाहिए. डिफॉल्टर शब्द बैंक के शब्द हैं. जब बैंक द्वारा कोई व्यक्ति ऋण लेता है और उस ऋण को चुकाने में असमर्थ होता है, तब उसे बैंक डिफॉल्टर घोषित करता हैं. जबकि अभिभावक तय समय के अनुसार अपने बच्चों के फीस जमा कर रहे हैं. बावजूद इसके डिफॉल्टर शब्द का इस्तेमाल कई विद्यार्थियों के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है. यह न्यायसंगत नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि एनुअल फीस और डेवलपमेंट चार्ज जमा करने के बाद भी स्कूल प्रबंधन द्वारा रिजल्ट जारी करने में परेशानियां उत्पन्न की जाती है.

रांची में 200 स्कूल, 70 प्रतिशत स्कूलों में कक्षा 1 से 6 तक की कक्षाएं बंद
सीबीएसइ सहोदया स्कूल के अध्यक्ष समरजीत जाना ने बताया कि रांची में लगभग 200 स्कूल हैं. सहोदया ग्रुप के अंतर्गत 72 स्कूल हैं. अधिकांश स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 6 तक की पढ़ाई 4 से 6 अप्रैल के बीच शुरू हो जाएगी. महंगाई को देखते हुए स्कूलों में बस भाड़ा 10 प्रतिशत बढ़ाई गई है. फिलहाल ऑनलाइन परीक्षा ली गई है. जिसके नतीजे 25 मार्च से लेकर 30 मार्च तक सभी स्कूलों में जारी कर दिए जाएंगे. भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुसार 31 मार्च तक ऑफलाइन परीक्षा नहीं लेनी है. जिसके कारण स्कूल फिलहाल बंद हैं. अप्रैल से स्कूल जब खुलेगा तो ऑफलाइन कक्षा के साथ ऑफ लाइन परीक्षाएं भी संचालित की जायेंगी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही अभिभावकों से वसूली
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार एनुअल फीस और डेवलपमेंट फीस अभिभावकों से वसूली गई है. यह न्यायसंगत है. स्कूल से यूनिफॉर्म, किताब, आईडी कार्ड की खरीदारी के सवाल पर सहोदया के अध्यक्ष ने बताया कि ये बेबुनियाद बातें हैं. जो विद्यार्थी पुराने यूनिफॉर्म में स्कूल आने की स्थिति में हैं, वे पुराने यूनिफॉर्म में स्कूल आ सकते हैं और पुरानी किताबों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इसे भी पढ़ें – चतरा पुलिस ने TPC सब जोनल कमांडर को किया गिरफ्तार, दो मशीनगन समेत भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
[wpse_comments_template]