Ranchi : कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए आगे की रणनीति क्या होगी. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले तीन दिनों से सभी प्रमंडलों के सांसदों व विधायकों से बातचीत कर रहे हैं. इसी कड़ी में सीएम ने उत्तरी छोटनागपुर प्रमंडल के जनप्रतिनिधियों से बातचीत की. कांग्रेस के बेरमो विधायक कुमार जयमंगल ने सरकार को सुझाव दिया है कि उनके विधानसभा सहित कई जिलों में अभी हॉस्पिटल बनकर तैयार हैं. लेकिन सवाल यह है कि इसे चलाएगा कौन. सरकार नये डॉक्टरों, नर्सों सहित पारा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के लिए टेंडर निकाल रही है, जो एक लंबी प्रक्रिया है. ऐसे में सासंदों और विधायकों का सरकार को सुझाव है कि इसकी जगह बंद पड़े हॉस्पिटलों का 10 से 15 सालों तक निजी आउटसोर्सिंग करने पर विचार करें. इस दौरान विधायक ने बेरमो विधानसभा में ऑक्सीजन युक्त बेडों की उपलब्धता की भी जानकारी सीएम को दी.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनके विधानसभा में 20 ऑक्सीजन युक्त बेड सीसीएल और उनके डॉक्टरों के माध्यम से चल रहे हैं. वहीं अगले 12 दिनों में 350 अतिरिक्त ऑक्सीजन युक्त बेड बनाये जाने वाले हैं. वहीं केंद्रीय उपक्रम डीवीसी,सीसीएल और कोल इंडिया द्वारा कोई लापरवाही बरती जा रही है, तो उनपर आपदा प्रबंधन कानून के तहत कार्रवाई का निर्णय लिया गया है.
सबसे बड़ी समस्या है मैनपावर की – विधायक
बेरमो विधायक ने बताया कि अभी सबसे बड़ी समस्या मैन पावर की है. संक्रमण से लड़ रहे डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल सहित अधिकारी भी संक्रमित हो रहे है. अपने पिता व बेरमो के दिवंगत विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा विधानसभा में 30-30 बेड वाले और छोटे-छोटे 15 बेड के हॉस्पिटल की बात करते हुए कहा कि इसको भी चलाने की अभी तत्काल जरूरत है. इसकी सूची उन्होंने बोकारो डीसी को दी है. डीसी ने डीएमएफटी के माध्यम से इन हॉस्पिटलों को चलाने की अनुमति दे दी है. लेकिन यह अब सवाल यह बनता है कि इसे चलाएगा कौन.
बेरमो विधायक ने मुख्यमंत्री से कहा कि जिस तरह से उन्होंने स्कूलों को ऑउटसोर्स करने का निर्णय लिया था. इसके लिए उन्होंने एक मापदंड भी तय किया था. उसी तर्ज पर अगर निजी हॉस्पिटलों को आने वाले 10 से 15 वर्षों के लिए आउटसोर्स के तहत चलाने की अनुमित दी जाए, तो काफी राहत मिलेगी.