Hazaribagh : हजारीबाग के कोर्रा इलाका बाहर से आकर पढ़ने वाले छात्र -छात्राओं के जमावड़े वाला क्षेत्र है. यहां गिरिडीह ,चतरा ,कोडरमा, बोकारो ,और रामगढ़ के ग्रामीण इलाके के छात्र किराये के कमरे में रहते हैं और कोचिंग सेंटरों में पढ़ते हैं एवम प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं. छोटे बड़े सैकड़ों की संख्या में यहां कोचिंग और ट्यूशन सेंटर खुले हुये हैं. कोरोना काल में इन कोचिंग सेंटरों पर ताला लटक गया था और सरकार ने इन्हें बंद रखने का निर्देश दिया था. सरकार ने कई सेक्टरों में थोड़ी ढील दी थी लेकिन शिक्षण संस्थान में अभी तक कोई ढील नहीं दी गई है. लेकिन जब आप शाम में इस क्षेत्र में आयेंगे तो आपको मेले जैसा दृश्य दिखेगा. सरकार के कोचिंग संस्थान बंद रखने के आदेश के बावजूद इस इलाके के लगभग सभी कोचिंग सेंटर और ट्यूशन सेंटर खुल गये हैं. हजारों की संख्या में छात्र-छात्रा इन सेंटरों में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं.
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क्या कहते हैं संचालक शिक्षक
स्कूल सेंटर के शिक्षक कुछ साफ नहीं कहते लेकिन दर्द जरूर बयां करते हैं कि सरकार ने सभी सेक्टरों को रियायत दी है तो उनसे अपील है कि अब कोचिंग सेंटरों को भी खोलने की इजाजत दी जाये. अगर कोई गाइडलाइन देना हो तो दे दे उसका पालन होगा. लेकिन अब खोलने की इजाजत मिलनी चाहिए.
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बिना इजाजत खुल गए कोचिंग संस्थान
वहीं दूसरी ओर अभी बिना किसी गाइडलाइन के ही लगभग सभी कोचिंग संस्थान खुल गये हैं हजारीबाग में इन कोचिंग संस्थानों के संचालकों के द्वारा पिछले दिनों मार्च भी निकाला गया था और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को लिखित मांग पत्र भी सौंपा गया है. जिसमे सरकार से कोचिंग संस्थानों को खोलने का खोलने की दिशा में पहल करने की अपील की गई थी. सरकार तक इनकी बात कितनी पहुंची यह तो पता नहीं लेकिन संस्थानों में विद्यार्थियों के टेबल छात्रों से भरने लगे हैं और पढ़ाई पहले की तरह चलने लगी.
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छात्र क्या कहते हैं
जब इस बारे में गिरिडीह जिले के धनवार क्षेत्र से आये एक छात्र से पूछा गया कि क्या कोरोना वायरस का अब उन्हें भय नहीं है घरवालों ने उन्हें यहां पढ़ने कैसे भेज दिया? उन्हें संक्रमण होने का भय नहीं है ? इस पर छात्र ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर कोरोना का कोई बहुत प्रभाव नहीं देखा जा रहा है इसी कारण घर के लोगों ने पढ़ने भेज दिया है. हालांकि जहां तक होता है वह सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता है और मास्क लगाता है.
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मास्क तक नहीं लगा रहे छात्र
सोशल डिस्टेनसिंग की बात कही जाये लेकिन सड़कों पर जब आप इन छात्रों का हुजूम देखेंगे तो उसमें अधिकांश छात्रों को आप बिना मास्क के देखेंगें.
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