Search

टिप्पणीः मौतों की जिम्मेदारी से भाग रहे कुंभ को लेकर हीस्टिरिया पैदा करने वाले

Surjit Singh प्रयागराज में चल रहा कुंभ अब अपने आखिरी चरण में है. प्रयागराज जाने वाले हर हाईवे व रेलवे स्टेशनों पर जाम, भारी भीड़ अब भी जारी है. सरकार करोड़ों लोगों के कुंभ में स्नान करने की बात कर रही है. ऐसा लगता है देश एक हीस्टिरिया का शिकार हो गया है. हर कोई कुंभ जाना चाह रहा है. शनिवार की रात दिल्ली में रेलवे स्टेशन पर भगदड़ हुई. कहा जा रहा है कि कुंभ जाने वालों की भीड़ थी. शुरु में सरकारी स्तर पर मौतों के आंकड़े को छिपाने की बेशर्म कोशिश की गई. दिल्ली के लेफ्टीनेंट गोवर्नर से लेकर रेल मंत्री तक ने मौतों को छिपाने की कोशिशें की. बाद में पता चला कि 18 लोगों की मौत हो गई. प्रयागराज में कुल तीन भगदड़ हुए, लेकिन सरकार ने सिर्फ एक को कबूल किया. मरने वालों की संख्या अब तक 35 ही बतायी जाती है. लेकिन अलग-अलग रिपोर्ट्स में इसकी संख्या कहीं ज्यादा बतायी जा रही है.  संगम पर लगे टेंट में दो बार आगलगी की घटनाएं हो चुकी हैं. किसी भी हाईवे के बारे में जानकारी ले लें, पता चलेगा हर दिन दुर्घटना हो रही हैं. लोग मर रहे हैं. कोई कुंभ जाते वक्त तो कोई लौटते वक्त दुर्घटनाओँ के शिकार हो रहे हैं. जैसा कि कुंभ से लौट करके आने वाले बताते हैं, यह सच है कि वहां एक बेहतरीन व्यवस्था की गई है. इसके लिए उत्तरप्रदेश की योगी सरकार की तारीफ होनी चाहिए. लेकिन व्यवस्था चाहे कितनी भी अच्छी हो, कितने भी बड़े पैमाने पर हो, भीड़ को संभालने की एक सीमा होती है. अगर अप्रत्याशित भीड़ पहुंचेंगे, तो कोई भी व्यवस्था ध्वस्त हो सकता है. इसमें यूपी या केंद्र सरकार की कोई गलती नहीं है. इन सबके बीच यह सवाल तो उठता ही है कि देश में कोई पहली बार कुंभ नहीं लगा. हर 12 साल में कुंभ आता है. करोड़ों लोग स्नान करने जाते रहे हैं. फिर इस बार देश भर में यह हीस्टिरिया की तरह कैसे फैला.  हर दूसरा-तीसरा सख्स कुंभ पहुंचना चाहता है. हर कीमत पर.  कुंभ में स्नान करना एक उन्माद जैसा कैसे बन गया. किसने किया, कराया यह सब. जवाब है, सरकार और सिस्टम ने, सरकारी प्रचार ने, मीडिया ने, रील ने. अब जब सब वहां जा रहे हैं तो सबसे हाथ-पांव फूलने लगे हैं. लोगों को भी अब मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.  इन सबके बीच मीडिया अलग तरह की नैरेटिव बना रहा है. वह भगदड़ और दुर्घटनाओं को कुंभ से अलग दिखाने की कोशिश कर रहा है. इन भगदड़ और दुर्घटनाओं के लिए सरकार व सिस्टम को जिम्मेदार ठहराने से परहेज कर रहा है. लेकिन कब तक. आज नही तो कल लोग इस हीस्टिरिया से बाहर जरुर निकलेंगे. तब इस सवाल का जवाब देना होगा कि कुंभ को लेकर देश भर में हीस्टिरिया फैलाने वाले ही इन मौतों की जिम्मेदारी क्यों नहीं ली. मरने वालों के आंकड़ों को क्या छिपाया. 
Follow us on WhatsApp