alt="" width="600" height="400" /> धरना को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की लगातार अनदेखी कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा, झारखंड विधानसभा ने सरना धर्म कोड के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर उसे केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह आदिवासी समाज की उपेक्षा को दर्शाता है. यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो हम जन्तर मंतर पर हज़ारों की संख्या में प्रदर्शन करेंगे कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार इस मांग पर शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो पार्टी आंदोलन को और उग्र रूप देगीधरना शामिल नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि सरना धर्म कोड की मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी 27 मई को राज्यव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिससे साफ है कि सरना धर्म कोड की मांग पर राजनीतिक दलों का आंदोलन और जन समर्थन लगातार तेज हो रहा है. सोमवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. उन्होंने जनगणना प्रपत्र के धर्म वाले कॉलम में अलग सरना धर्म कोड की मांग की. साथ ही कांग्रेस ने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया है. आरोप लगाय़ा कि भाजपा आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर कब्जा करना चाहती है. भाजपा आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करती है आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार : कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस आंदोलन कर रही है.यह आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार है. कांग्रेस जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी. जरूरत पड़ने पर दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन किया जाएगा. जब तक जातीय जनगणना में अलग सरना धर्म कोड नहीं होगा तो राज्य के अनुसूचित जनजाति के 40-43 लाख लोग उस फार्म पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. किसने क्या कहा :के. राजू, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष: हमारी मांग सरना धर्म कोड है. जिन राज्यों में आदिवासियों का कोई और नाम से धर्म है वहां उस हिसाब से आदिवासियों के लिए कोड हो.यह उनका मौलिक अधिकार है. सांसद सुखदेव भगत: केंद्र की सरकार ने साजिश रचकर जनगणना प्रपत्र से अन्य वाला कॉलम हटाया है। अब हम राहुल गांधी-मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में अलग सरना धर्म कोड की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे. शिल्पी नेहा तिर्की, कृषि मंत्री :जब जनगणना प्रपत्र से धर्म वाले कॉलम से अन्य को हटा दिया गया है तो फिर आदिवासी समुदाय क्या करेगा? कांग्रेस आंदोलन के दम पर अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेगी. राधाकृष्ण किशोर, वित्त मंत्री: इतना आंदोलन तेज करेंगे कि जातीय जनगणना की तरह केंद्र सरकार को सरना धर्म कोड लागू करना ही होगा. भाजपा में दम है तो 15 दिन के अंदर बिहार में जातीय जनगणना शुरू करें. भाजपा और उनके नेताओं को आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं. डॉ. इरफान अंसारी, मंत्री: हर हाल में अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे. जरूरत पड़ी तो दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन करेंगे. विधायक नमन विक्सल कोंगारी: भाजपा के नेता सरना-सनातन एक है की बात कर आदिवासियों का हिन्दुकरण करना चाहते हैं. भाजपा का ध्यान आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर है, जिसे वह अपने उद्योगपति मित्रों में बांटना चाहती है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर: भाजपा को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार अलग सरना धर्म कोड की मांग पर घुटने नहीं टेक देती, तब तक पार्टी जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी

सरना धर्म कोड की मान्यता की मांग पर कांग्रेस का राजभवन के पास प्रदर्शन

Ranchi : झारखंड में सरना धर्म कोड को मान्यता दिलाने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राज्य भर से आए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया धरना की अध्यक्षता झारखंड कांग्रेस प्रभारी के. राजू और प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने की. इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक, जिला अध्यक्ष और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे
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alt="" width="600" height="400" /> धरना को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की लगातार अनदेखी कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा, झारखंड विधानसभा ने सरना धर्म कोड के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर उसे केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह आदिवासी समाज की उपेक्षा को दर्शाता है. यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो हम जन्तर मंतर पर हज़ारों की संख्या में प्रदर्शन करेंगे कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार इस मांग पर शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो पार्टी आंदोलन को और उग्र रूप देगीधरना शामिल नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि सरना धर्म कोड की मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी 27 मई को राज्यव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिससे साफ है कि सरना धर्म कोड की मांग पर राजनीतिक दलों का आंदोलन और जन समर्थन लगातार तेज हो रहा है. सोमवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. उन्होंने जनगणना प्रपत्र के धर्म वाले कॉलम में अलग सरना धर्म कोड की मांग की. साथ ही कांग्रेस ने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया है. आरोप लगाय़ा कि भाजपा आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर कब्जा करना चाहती है. भाजपा आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करती है आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार : कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस आंदोलन कर रही है.यह आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार है. कांग्रेस जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी. जरूरत पड़ने पर दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन किया जाएगा. जब तक जातीय जनगणना में अलग सरना धर्म कोड नहीं होगा तो राज्य के अनुसूचित जनजाति के 40-43 लाख लोग उस फार्म पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. किसने क्या कहा :के. राजू, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष: हमारी मांग सरना धर्म कोड है. जिन राज्यों में आदिवासियों का कोई और नाम से धर्म है वहां उस हिसाब से आदिवासियों के लिए कोड हो.यह उनका मौलिक अधिकार है. सांसद सुखदेव भगत: केंद्र की सरकार ने साजिश रचकर जनगणना प्रपत्र से अन्य वाला कॉलम हटाया है। अब हम राहुल गांधी-मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में अलग सरना धर्म कोड की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे. शिल्पी नेहा तिर्की, कृषि मंत्री :जब जनगणना प्रपत्र से धर्म वाले कॉलम से अन्य को हटा दिया गया है तो फिर आदिवासी समुदाय क्या करेगा? कांग्रेस आंदोलन के दम पर अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेगी. राधाकृष्ण किशोर, वित्त मंत्री: इतना आंदोलन तेज करेंगे कि जातीय जनगणना की तरह केंद्र सरकार को सरना धर्म कोड लागू करना ही होगा. भाजपा में दम है तो 15 दिन के अंदर बिहार में जातीय जनगणना शुरू करें. भाजपा और उनके नेताओं को आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं. डॉ. इरफान अंसारी, मंत्री: हर हाल में अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे. जरूरत पड़ी तो दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन करेंगे. विधायक नमन विक्सल कोंगारी: भाजपा के नेता सरना-सनातन एक है की बात कर आदिवासियों का हिन्दुकरण करना चाहते हैं. भाजपा का ध्यान आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर है, जिसे वह अपने उद्योगपति मित्रों में बांटना चाहती है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर: भाजपा को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार अलग सरना धर्म कोड की मांग पर घुटने नहीं टेक देती, तब तक पार्टी जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी
alt="" width="600" height="400" /> धरना को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की लगातार अनदेखी कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा, झारखंड विधानसभा ने सरना धर्म कोड के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर उसे केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह आदिवासी समाज की उपेक्षा को दर्शाता है. यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो हम जन्तर मंतर पर हज़ारों की संख्या में प्रदर्शन करेंगे कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार इस मांग पर शीघ्र कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तो पार्टी आंदोलन को और उग्र रूप देगीधरना शामिल नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि सरना धर्म कोड की मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी 27 मई को राज्यव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिससे साफ है कि सरना धर्म कोड की मांग पर राजनीतिक दलों का आंदोलन और जन समर्थन लगातार तेज हो रहा है. सोमवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. उन्होंने जनगणना प्रपत्र के धर्म वाले कॉलम में अलग सरना धर्म कोड की मांग की. साथ ही कांग्रेस ने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया है. आरोप लगाय़ा कि भाजपा आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर कब्जा करना चाहती है. भाजपा आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करती है आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार : कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अलग सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस आंदोलन कर रही है.यह आदिवासी समुदाय का मौलिक अधिकार है. कांग्रेस जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी. जरूरत पड़ने पर दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन किया जाएगा. जब तक जातीय जनगणना में अलग सरना धर्म कोड नहीं होगा तो राज्य के अनुसूचित जनजाति के 40-43 लाख लोग उस फार्म पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. किसने क्या कहा :के. राजू, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष: हमारी मांग सरना धर्म कोड है. जिन राज्यों में आदिवासियों का कोई और नाम से धर्म है वहां उस हिसाब से आदिवासियों के लिए कोड हो.यह उनका मौलिक अधिकार है. सांसद सुखदेव भगत: केंद्र की सरकार ने साजिश रचकर जनगणना प्रपत्र से अन्य वाला कॉलम हटाया है। अब हम राहुल गांधी-मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में अलग सरना धर्म कोड की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे. शिल्पी नेहा तिर्की, कृषि मंत्री :जब जनगणना प्रपत्र से धर्म वाले कॉलम से अन्य को हटा दिया गया है तो फिर आदिवासी समुदाय क्या करेगा? कांग्रेस आंदोलन के दम पर अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेगी. राधाकृष्ण किशोर, वित्त मंत्री: इतना आंदोलन तेज करेंगे कि जातीय जनगणना की तरह केंद्र सरकार को सरना धर्म कोड लागू करना ही होगा. भाजपा में दम है तो 15 दिन के अंदर बिहार में जातीय जनगणना शुरू करें. भाजपा और उनके नेताओं को आदिवासियों के विकास से कोई लेना-देना नहीं है, वह सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं. डॉ. इरफान अंसारी, मंत्री: हर हाल में अलग सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे. जरूरत पड़ी तो दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन करेंगे. विधायक नमन विक्सल कोंगारी: भाजपा के नेता सरना-सनातन एक है की बात कर आदिवासियों का हिन्दुकरण करना चाहते हैं. भाजपा का ध्यान आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर है, जिसे वह अपने उद्योगपति मित्रों में बांटना चाहती है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर: भाजपा को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार अलग सरना धर्म कोड की मांग पर घुटने नहीं टेक देती, तब तक पार्टी जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर आंदोलन जारी रखेगी