New Delhi : कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नये भवन का उद्घाटन किये जाने के बाद आज रविवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम से दूर रखा गया. यह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा समुदाय विरोधी रुख को दिखाता है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ऐसे आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री ने संसद के नये भवन का उद्घाटन किया है, जिन्हें संसदीय परंपराओं से नफरत है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
At the foundation stone laying ceremony of the new Parliament building, then Hon’ble President Sh. Ramnath Kovind was kept away from the ceremony.
At its inauguration, President Droupadi Murmu has been sidelined.
It is the upper caste, anti-backward mindset of the RSS because…
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) May 28, 2023
Then President Ramnath Kovind was not invited to the foundation laying ceremony for the new Parliament in December 2020, and now the current President Droupadi Murmu is not allowed to inaugurate the new Parliament.
The Adivasi Congress underlines in its statement today that… pic.twitter.com/zmzulXYEKX
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 25, 2023
लोकशाही से राजशाही तक इस विशाल देश को ले जाने का मेरा सपना आज पूरा हुआ…कुछ ऐसी ही भावनाओं से ओतप्रोत होंगे हमारे PM सर।जय हिंदhttps://t.co/d40pxPr1yk
— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) May 28, 2023
उद्घाटन समारोह में द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर दिया गया
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को उनके संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने दिया जा रहा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज रविवार सुबह नये संसद भवन का उद्घाटन किये जाने पर कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, संसद के नये भवन के शिलान्यास कार्यक्रम से तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दूर रखा गया. उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया, यह आरएसएस की पिछड़ा समुदाय विरोधी और उच्च जाति वाली सोच है.
भाजपा की मानसिकता दलित और आदिवासी विरोधी रही है
यही वजह है कि रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू् को वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने रूप में हकदार थे. वेणुगोपाल ने दावा किया कि कोविंद और मुर्मू को जानबूझकर दूर रखा जाना इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी लाभ के लिए उनका इस्तेमाल किया, लेकिन इस तरह के ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा नहीं बनने दिया. आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा, इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया. भाजपा की मानसिकता हमेशा दलित और आदिवासी विरोधी रही है.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा, लोकशाही से राजशाही तक इस विशाल देश को ले जाने का मेरा सपना आज पूरा हुआ…कुछ ऐसी ही भावनाओं से ओतप्रोत होंगे, हमारे प्रधानमंत्री जी. जय हिंद. इस क्रम में राजद ने रविवार को नये संसद भवन की वास्तुकला की तुलना एक ताबूत से की, जिस पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता राजद को ऐसे ही ताबूत में दफना देगी.
इन अंध विरोधियों से यह भी तो पूछा जाना चाहिए कि यदि इन्हें आदिवासियों की इतनी ही चिंता है तो श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की उम्मीदवारी का विरोध क्यों कर रहे थे ??
इससे पहले की सरकार ने एकबार भी महामहिम से संसद भवन का शिलान्यास या उद्घाटन क्यों नहीं कराया ??
जिनकी किस्म में इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना लिखा था वो तो बन गये, शेष बेसुरा राग अलापते रह गये। जनता सब देख रही है और उपयुक्त समय पर इसका जवाब भी अवश्य देगी।