वैज्ञानिकों का समूह आज भी यह बात मानने से इनकार करता है कि वायरस वुहान, चीन की प्रयोगशाला से नहीं निकला था.
London : विश्व के चुनिंदा 18 वैज्ञानिकों ने प्रसिद्ध जरनल साइंस को लिखे पत्र में कहा है कि जब तक डाटा के आधार पर रिसर्च के जरिए चीन की मासूमियत साबित नहीं हो जाती, तब तक यह कहना गलत होगा कि कोरोना वुहान लैब से नहीं निकला था. बता दें कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन को क्लीनचिट दे चुका है, लेकिन वैज्ञानिकों का समूह आज भी यह बात मानने से इनकार करता है कि वायरस वुहान, चीन की प्रयोगशाला से नहीं निकला था. साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित पत्र लिखने वालेों में हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एमआईटी जैसे दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों के 18 विशेषज्ञ शामिल हैं.
टीम में भारतीय मूल के रवीन्द्र गुप्ता भी शामिल हैं.
वैज्ञानिकों की इस टीम में अन्य विशेषज्ञों के अलावा भारतीय मूल के रवीन्द्र गुप्ता भी शामिल हैं. बता दें कि गुप्ता क्लीनिकल माइक्रोबायॉलजिस्ट हैं. इन एक्सपर्ट्स की कोरोना के उद्भव के लिए दो थ्योरीज है, पहली थ्योरी यह कि वायरस वुहान की प्रयोगशाला से निकला और दुनिया में कहर बरपाने लगा. दूसरी यह कि कोरोना किसी जानवर या परिंदे के जरिए आदमी के शरीर तक आ पहुंचा.
वैज्ञानिकों ने यह बात प्रसिद्ध जरनल साइंस को लिखे पत्र में कही है. पत्र में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गयी जांच में इस थ्योरी पर संतुलित ढंग से विचार नहीं किया गया था कि हो सकता है वायरस किसी हादसे के कारण लैब से निकला हो.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीनी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार की जांच रिपोर्ट
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीनी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार की गयी अपनी जांच रिपोर्ट में वायरस के लैब से लीक होनी की थ्योरी को लगभग असंभव करार दिया था. इस रिपोर्ट के अनुसार वायरस संभवतः चमगादड़ से किसी जानवर और उस जानवर से आदमी तक पहुंचा. कहा गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अपनी बात को असंभाव्य और संभवतः जैसे विशेषणों के साथ परोस रहा है. यानी वह भी सौ फीसदी गारंटी के साथ कुछ नहीं कह पा रहा है.
कोरोना वायरस के फैलाव की अनेक थ्योरियां हैं
कोरोना वायरस के फैलाव की अनेक थ्योरियां हैं. इनमें साजिश वाली थ्योरी भी हैं. इस संबंध में कुछ दिन पहले संघ के शेषाद्रि चारी ने भी एक लेख में इशारा किया था. शेषाद्रि चारी ने अपने एक लेख में कहा था कि चीन के सबसे बड़े रिसर्च एवं मैन्यूफैक्चरिंग संस्थान चीन की फौज का विस्तार भर हैं. चीनी आर्मी अपने इरादे भी नहीं छिपाती कि बायोटेक्नालजी में होने वाली रिसर्च का सैनिक इस्तेमाल हो सकता है.