Surjit Singh
अखबारों व टीवी चैनल पर कोरोना की खबरें हैं. अस्पतालों की बदइंतजामी की स्टोरी. श्मशान घाट पर कतार में रखे शवों की तस्वीर. पर, वह सवाल सिरे से गायब है, जो पिछले साल इसी वक्त उठाये जा रहे थे. वह सवाल यह था कि सिंगल सोर्स ने देश भर में कोरोना फैलाया. जमाती दिल्ली से निकल कर देश भर में पहुंचे. जमातियों की संख्या करीब 3500 ही रही होगी.
आज क्या हो रहा है. कुंभ मेले में एक दिन में 35 लाख लोग हर की पौड़ी में स्नान कर रहे हैं. हजारों लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये. केंद्र या राज्य की सरकार ने ना तो कुंभ मेले को रोकने की कोशिश की और ना ही वहां पहुंचने वाले लोगों से कड़ाई कर गाइडलाइन का पालन कराया.
मीडिया ने यह सवाल अब तक नहीं उठाया कि देश के कोने-कोने से कुंभ पहुंचे लाखों लोग जब अपने-अपने घर, गांव व शहर में लौटेंगे, तो क्या उनसे कोरोना नहीं फैलेगा. हद तो तब हो गयी, जब मीडिया ने उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के उस बयान पर भी कोई सवाल नहीं उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि मां गंगा की कृपा से कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं में कोरोना नहीं फैलेगा.
तो क्या एक साल पहले मीडिया को कहीं और से नियंत्रित किया जा रहा था. या आज कहीं से नियंत्रित किया जा रहा है. जो वह सवाल नहीं उठा रही. या फिर मीडिया धर्म देख कर सवाल उठाती है या चुप्पी साध लेती है. क्या एक साल पहले मीडिया जमातियों पर सवाल उठाकर देश में खराब माहौल बना रही थी या अभी सवाल नहीं उठा कर देश के लोगों को अंधेरे में रख रही है.
मीडिया को तो प्रायश्चित करना ही चाहिये. पर, एक सवाल उन पर भी उठ रहे हैं, जो आपके दोस्त, पड़ोसी और रिश्तेदार हैं. वे भी एक साल पहले मीडिया की खबरें देखकर एक धर्म के लोगों के प्रति नफरत करने लगे थे. सोशल मीडिया पर नफरती भाषा लिखने लगे थे और बैठकों में बोलने लगे थे. क्या अभी वह कुंभ में जाने वालों को लिये वहीं सब लिखेंगे, बोलेंगे. शायद नहीं.