Girish Malviya
दुनिया के जिन दो देशों में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है, वहां दुगुनी-तिगुनी रफ्तार से कोरोना केस बढ़ रहे हैं. यह बहुत आश्चर्य की बात है! इससे विशेषज्ञों में यह चिंता होने लगी है कि टीकाकरण कोरोना को फैलने से रोकने में मदद कर भी रहा है या नहीं ? WHO भी अब इसकी जांच करने की बात मान रहा है!
खास बात यह है कि उन दो देशों में भी जो वैक्सीन लगाई गई है, वो ही तकनीक भारत के वैक्सीनेशन ड्राइव में इस्तेमाल की जानी वाली अधिकांश वैक्सीन (कोविशील्ड) में इस्तेमाल हुई है. साइनोफार्म की कोविड-19 वैक्सीन भी आक्सफोर्ड वाली की वैक्सीन की तर्ज़ पर बनाई जा रही है, जो कि एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है.
हम बात कर रहे हैं सेशेल्स और मालदीव की. ग्राफ बताते हैं कि सेशेल्स, मालदीव और भारत में कब वैक्सीनेशन शुरू हुआ और कब केस का बढ़ना शुरू हुआ. बड़ी गजब की समानता है तीनों देशों में.
सेशेल्स, जिसने किसी भी अन्य देश की तुलना में कोविड-19 के खिलाफ अपनी जनसंख्या का अधिक टीकाकरण किया है. इसके बावजूद वहां 7 मई तक एक सप्ताह के अंदर कोरोना के सक्रिय मामले दोगुने से अधिक हो गए हैं. डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण, टीके और जैविक विभाग की निदेशक केट ओ ब्रायन सोमवार को कहा कि संस्था स्थिति का आकलन करने के लिए सेशेल्स से लगातार संपर्क बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा वायरस के नए स्ट्रेन के कारण तो नहीं हुआ.
सेशेल्स की आबादी 1 लाख से भी कम है और उसने अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण करने के लिए तेजी से अभियान चलाया. ताकि सभी पर्यटन स्थलों को दोबारा खोला जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सके. लेकिन उल्टा असर हो गया वहां वैक्सीन लगाने के बाद तेजी से कोरोना के मामले बढ़ने लगे.
सेशेल्स के हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा कि जिन लोगों को कोरोना के दोनों टीके लगे हैं, उनमें से 57% लोगों को सिनोफॉर्म वैक्सीन दी गई है. जबकि अन्य को कोविशील्ड का टीका दिया गया है. सेशेल्स में अब कोरोना वायरस के नए मामलों को रोकने के लिए दोबारा प्रतिबंध लागू किए गए हैं.
अब बात करते हैं मालदीव की. 8 मई तक मालदीव में 3 लाख लोगों को कम से कम कोरोना की पहली डोज दी जा चुकी है. जबकि 35% आबादी को दोनों टीके लग चुके हैं. मालदीव में भी सेशेल्स की तरह टीकाकरण के लिए सिनोफ़ॉर्म और कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग हो रहा है. यानी वही सेम तकनीक के टीके.
मालदीव भी पर्यटकों की पसंद वाला देश है. इसलिए वहां ‘मैं वैक्सीन लगवा चुका हूं’ की स्कीम लॉन्च की गयी थी. देश के पर्यटन उद्योग से जुड़े 90 फीसदी पात्र लोगों ने अपना डोज हासिल कर लिया है. पर इसके बावजूद वहां भी कोरोना मामलों में अप्रत्याशित तेजी देखने को मिली है.
सेशेल्स में तो वैक्सीनेशन ड्राइव भारत की ही तरह जनवरी मध्य में शुरू हुआ. उसके पहले इक्का-दुक्का मामले वहां रिकॉर्ड किये जा रहे थे. लेकिन जैसे ही वैक्सीनेशन ने स्पीड पकड़ी कोरोना के मामलों ने भी रफ्तार पकड़ ली. कुछ वैसा ही हाल मालदीव का भी है. मजे की बात यह है कि कोरोना महामारी के बीच टीकाकरण में पाकिस्तान बहुत पीछे है. लेकिन शायद वह इसी कारण दूसरी लहर से बचा भी हुआ है.
इसके अलग इजरायल और ब्रिटेन की बात करें तो वहां अधिकतर आबादी को नयी Moderna तकनीक वाली वैक्सीन लगाई गई है. जबकी इन तीनों देशों में पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.