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कोरोना ने दूसरी लहर ने थामी इकोनॉमी की रफ्तार, नये रोजगार सृजन पर हो रहा असर

Lagatar Desk : कोविड-19 वायरस की दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था पर बहुत खराब असर डाला है. आर्थिक गतिविधियों में कमी आने की वजह से देश में में नये रोजगारों के सृजन की गति मंद पड़ने लगी है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के फरवरी माह में जारी आंकड़ों के अनुसार औपचारिक कार्यबल में शामिल होने वाले नये कर्मचारियों की संख्या तीन महीनों में सबसे कम रही.

युवा पेशेवरों को रोजगार मिलने की गति धीमी

नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि फरवरी के महीने में कम से कम इपीएफ में 7,56,067 नये कर्मचारी शामिल हुए. यह जनवरी 2021 में शामिल होनेवाले नये 861074 ईपीएफ ग्राहकों की तुलना में 1 लाख से ज्यादा थे. पेरोल डेटा ने संकेत दिया है कि जनवरी से फरवरी के बीच कर्मचारियों की संख्या में आयी गिरावट में आधे 18-25 के आयु वर्ग के थे. यह बताता है कि युवा पेशेवरों को रोजगार मिलने की गति धीमी पड़ गयी है.

कड़े प्रतिबंधों से रोजगार में आ सकती है कमी

कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में रोजगार की स्थिति और खराब हो सकती है. क्योंकि देश के अधिकांश राज्यों में कड़े प्रतिबंध लगा दिये गये हैं. कई अर्थशास्त्री और ब्रोकरेज फर्में पहले ही कह चुकी हैं कि दूसरी लहर के दौरान कड़े प्रतिबंधों ने आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है और इसका सीधा असर नये रोजगार सृजन पर पड़ेगा. असंगठित क्षेत्र में भी रोजगार में भारी कमी आने की संभावना है, क्योंकि कई प्रवासी मजदूर कड़े लॉकडाउन और काम न मिलने के डर से घर लौटने लगे हैं.

फिर बढ़ने लगी है बेरोजगारी

मुंबई स्थित एक थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा हाल में जारी आंकड़ों में बताया गया है कि तेजी से बढ़ते कोविड -19 के मामलों और प्रतिबंधों की वजह से देश में बेरोजगारी फिर से बढ़ने लगी है. सीएमआईई के मुताबिक, 11 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी की दर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी, जो इसके पहले के दो सप्ताह में 6.7 प्रतिशत पर थी. यदि राज्यों को संक्रमण के दैनिक मामलों में तेज बढ़ोतरी को रोकने के लिए सख्त लॉकडाउन लगाने के लिए विवश होना पड़ा तो अगले महीने तक बेरोजगारी की दर और बढ़ने की संभावना है.

मई तक यही हाल रहा तो हालत होगी खराब

पहले विशेषज्ञों ने संभावना जतायी थी कि कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा. लेकिन अगर मई के अंत तक भारत इस घातक वायरस के प्रसार को रोकने में विफल रहता है, तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है. ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से ही भारत में कारोबारी गतिविधियां घटने लगी हैं. इससे आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है.

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