Abhilasha Shahdeo
lagatar Desk: भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अन्य क्षेत्रों की तुलना में रोजगार के लिए कृषि पर अधिक निर्भर है. और जहां कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है. वहीं किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है. किसानों को मक्का का तय मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार द्नारा 1850 रुपये तय तो कर दिया गया है, लेकिन उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य तो क्या मक्के की लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रही है.
जानिये क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है, जिसके आधार पर भारत सरकार किसानों से फसल खरीदती है. कई मंत्रालय और विभाग मिलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करते हैं.
कितना मिल रहा है मक्के का मूल्य
कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा बताया गया कि मक्के की लागत प्रति क्विंटल 1200-1300 रुपये है. लेकिन किसानों को बाजार में सिर्फ 1000-1200 रुपये तक ही मिल रहा है. जिससे उन्हें 200-300 रुपये तक का घाटा सहना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में किसान कर्ज भी नहीं उतार पा रहे हैं साथ ही आगामी फसल की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं.
क्या है स्थिति
किसान 1 क्विंटल मक्का 1000-1200 रुपये में बेचते हैं तो इस हिसाब से 1 किलो का दाम 10-12 रुपये पड़ता है. वहीं अगर हम बात करें Flipkart और Amazon या इसके जैसी अन्य online shopping company की जिसमें 1 kg मक्का का आटा का दाम 300-400 रुपये किलो है. इसका मतलब साफ है कि ये 40 गुना अधिक कीमत पर बेच रहे हैं.
कॉर्पोरेट को मुनाफा और किसान को हानि
यहां साफ नजर आ रहा है कि किस तरह कॉर्पोरेट को हर तरफ से मुनाफा हो रहा है. एक तरफ सरकार कहती है किसानों की आय दोगुनी होगी, वहीं दूसरी ओर इनको लागत मूल्य भी नहीं दे पा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर flipkart और Amazon जैसी Company इसे 30-40 गुना अधिक दाम पर बेच रहे हैं. क्या कॉर्पोरेट जगत इसी तरह फायदे में रहेंगे. और हमारे किसान जो इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. क्या इस तरह दोगुनी होगी किसानों की आय ?