NewDelhi : थल सेना चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कड़ी निगरानी रखे, क्योंकि चीनी सैनिकों की तैनाती को देखते हुए उत्तरी क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज तीसरे दिन बुधवार को सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. सेना कमांडरों के पांच दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ सोमवार को दिल्ली में किया गया है. सूत्रों के अनुसार सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों का आह्वान किया कि वे विश्व भर में हो रहे भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर गौर करें और अपनी योजना और रणनीतियों को उस अनुसार ढालने का प्रयास करें.
The first Army Commanders’ Conference of 2023, commenced in a hybrid format on 17 April. The main highlight of the third day of the conference was the address by Defence Minister Rajnath Singh, to the senior leadership of the Indian Army, which was preceded by a brief on “IA… pic.twitter.com/1v9V8EAAcS
— ANI (@ANI) April 19, 2023
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थल सेना को एलएसी की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्कता बरतनी होगी
इस क्रम में उन्होंने उत्तरी क्षेत्र में पीएलए (चीनी) सैनिकों की तैनाती के कारण स्थिति को तनावपूर्ण माना. कहा कि हमारे सशस्त्र बलों, खासकर भारतीय थल सेना को एलएसी की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्कता बरतनी होगी. बता दें कि रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में तीन साल से चल रहे सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में सांमने आयी है. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है. कहा कि मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार का भरसक प्रयास है कि सीमा पर तैनात हर जवान को अत्याधुनिक हथियार और सुविधाएं मुहैया कराई जाये
सम्मेलन में जम्मू कश्मीर का जिक्र किया गया
सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की युद्धक क्षमता में वृद्धि के तौर-तरीकों पर विचार-मंथन किया जा रहा है. सम्मेलन में जम्मू कश्मीर का जिक्र किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वहां शांति और स्थिरता है कहा कि इस नये केंद्रशासित प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आयी है. उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर राज्यों में भी, भारतीय थल सेना द्वारा चलाये गये अभियानों के कारण आंतरिक सुरक्षा स्थिति में काफी सुधार हुआ है. इस क्रम में राजनाथ सिंह ने कहा, लेकिन
इसके बावजुद हमें शांति के लिए सरकार के प्रयासों को चुनौती देने वाले राष्ट्र-विरोधी संगठनों को लेकर अलर्ट रहना होगा. जान लें कि सेना कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष-स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है इसका आयोजन हर साल अप्रैल और अक्टूबर माह में किया जाता है.
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