NewDelhi : दिसंबर 2021 में दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम में किसी समुदाय के खिलाफ hate speech नहीं दी गयी. दिल्ली पुलिस की ओर से साउथ ईस्ट दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडेय ने यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया.
हलफनामे के अनुसार दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई अपशब्द नहीं कहे गये. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली व हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम(धर्मसंसद) के दौरान कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ एसआईटी जांच और कार्रवाई का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुनवाई जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस एस ओका की बेंच कर रही है.
दिल्ली पुलिस ने कहा, याचिकाकर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया
सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने इस संबंध में कार्रवाई के लिए उससे कोई संपर्क नहीं किया और सीधे शीर्ष कोर्ट का रुख किया. कहा कि इस तरह की परंपरा को खत्म किया जाना चाहिए. याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व जज व वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दायर की है. इसमें मांग की गयी है कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ की गयी नफरतभरी बातों की एक विशेष जांच दल (SIT) गठित कर स्वतंत्र, विश्वसनीय व निष्पक्ष जांच कराई जाये.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था
इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब तलब किया था. दिल्ली पुलिस ने जवाब देते हुए हलफनामे में कहा कि पिछले साल 19 दिसंबर को हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नफरत भरे भाषण नहीं दिये गये.
कहा कि इस तरह की कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं और उन सबको मिलाकर एक समग्र जांच शुरू की गयी थी। पुलिस ने कहा कि गहन जांच व कार्यक्रम के वीडियो को देखने के बाद शिकायत में लगाये गये आरोपों की तरह हैट स्पीच के कोई सबूत नहीं मिले. जांच में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण के कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए समग्र आकलन के बाद जांच बंद कर दी गयी
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मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान नहीं
दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में कहा कि भाषणों में इस तरह के शब्दों का कोई उपयोग नहीं किया गया है, जिनका अर्थ या व्याख्या मुसलमानों के नरसंहार के आह्वान का निकलता हो.कहा कि दिल्ली में किसी भी समूह, समुदाय, जातीयता, धर्म या आस्था के खिलाफ उक्त कार्यक्रम में कोई नफरत व्यक्त नहीं की गयी थी.
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