Search

राशन कार्ड विलोपन पर रोक लगाने की मांग, ‘भोजन का अधिकार अभियान’ ने मुख्यमंत्री को लिखा खुला पत्र

Ranchi: झारखंड में चल रही राशन कार्ड विलोपन प्रक्रिया को लेकर ‘भोजन का अधिकार अभियान’ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक खुला पत्र लिखकर गहरी चिंता जताई है. अभियान ने मांग की है कि राशन कार्ड धारियों के विलोपन और रद्दीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए, क्योंकि यह लाखों गरीबों को उनके खाद्य अधिकार से वंचित कर सकता है.

 

अभियान ने जन वितरण प्रणाली (PDS) के आहार पोर्टल के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 14 जुलाई 2025 तक राष्ट्रीय और राज्य खाद्य सुरक्षा योजनाओं के तहत 74.6 लाख लोगों का eKYC पूरा नहीं हुआ है, जिनमें से 8.24 लाख राशन कार्ड ऐसे हैं जिनमें किसी भी सदस्य का eKYC नहीं हो पाया है. इससे यह आशंका बढ़ गई है कि तकनीकी या प्रणालीगत समस्याओं के चलते लाखों कार्डधारियों को राशन से वंचित किया जा सकता है.

 

2017-18 की भूख से मौतों की चेतावनी

 

अभियान ने यह भी याद दिलाया कि 2017 और 2018 में झारखंड में राशन की कमी के कारण 17 लोगों की भूख से मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में यदि राशन कार्ड विलोपन का यह अभियान बिना मानवीय संवेदना के जारी रहा, तो यह राज्य को भूख और कुपोषण की नई त्रासदी की ओर ले जा सकता है.

 

eKYC प्रक्रिया में आ रही बड़ी चुनौतियां

 

अभियान के अनुसार, राज्यभर से eKYC से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं सामने आई हैं, जिनका असर खासकर वृद्ध, दिव्यांग, बच्चे, प्रवासी मजदूर और दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है.

 

प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं-

 

  • वृद्ध और दिव्यांगों की असमर्थता: लंबी दूरी या शारीरिक अक्षमता के चलते कई लोग उचित मूल्य की दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
  • बायोमेट्रिक विफलता: बुजुर्गों व मज़दूरों की उंगलियों के निशान ePOS मशीनें पहचान नहीं पा रहीं.
  • आधार की कमी: बच्चों के पास आधार कार्ड न होना या सिर्फ बाल आधार होना.
  • इंटरनेट की खराब स्थिति: खासकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या से eKYC संभव नहीं हो पा रही.
  • प्रवासी मजदूरों की समस्या: दूसरे राज्यों में रह रहे मज़दूरों के लिए eKYC कराना बेहद कठिन.
  • Mera eKYC ऐप की विफलता: तकनीकी दिक्कतों के चलते ऐप की सफलता दर बेहद कम है.

 

सरकार को अभियान के सुझाव
 

  • राशन डीलरों द्वारा eKYC न हो पाने के कारणों की कोडिफाइड सूची तैयार कर उनका सत्यापन किया जाए.
  • सत्यापित कारणों को ePOS मशीन या ब्लॉक स्तर के सिस्टम में दर्ज किया जाए.
  • सभी कारणों का विश्लेषण कर यह तय किया जाए कि किन मामलों में लाभार्थी वास्तव में पात्र हैं.
  • पात्र लाभार्थियों को विलोपन से पूरी तरह सुरक्षित रखा जाए.
  • आदिम जनजाति समूहों को बिना किसी सत्यापन के स्वतः सुरक्षित रखने की नीति अपनाई जाए.
Follow us on WhatsApp