LagatarDesk : आज नोटबंदी के पांच साल पूरे हो चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का एलान किया था. पीएम मोदी ने रात को 8 बजे इसकी घोषणा की थी. जिसके बाद से 500 और 1000 रूपये के नोटों को बंद कर दिया गया था. हालांकि इसके कुछ दिन बाद सरकार ने 2000 और 500 रुपये का नया जारी किया. बाद में बाजार में 200 रुपये का नोट भी आया.
नोटबंदी के बाद देश में अफतार-तफरी का था माहौल
नोटबंदी का लोगों की जीवन पर काफी असर पड़ा था. कई महीनों तक देश में काफी अफतार-तफरी का माहौल था. लोगों को पुराने नोट जमा करने और नये नोट लेने थे. जिसको लेकर बैंकों में लंबी लाइनें लगी थी. कहा गया कि इससे काला धन खत्म होगा. साथ ही नकदी का चलन घटेगा.
इसे भी पढ़े : हल्की तेजी के साथ खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 148 अंक मजबूत, इंडसइंड बैंक 6.26 फीसदी टूटा
काला धन और बड़े नोटों की जमाखोरी था नोटबंदी का मुख्य कारण
पीएम ने नोटबंदी के पीछे का कारण काला धन, बड़े नोटों की जमाखोरी, नकली नोट जैसे मुद्दों को बताया था. नोट बंदी के बाद सरकार ने डिजिटल भुगतान यानी कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने की बात कही थी. इस एलान के बाद डिजिटल भुगतान में वृद्धि भी हुई.
नोटबंदी के पांच साल बाद भी नकदी का चलन बढ़ा
आपको बता दें कि भले ही डिजिटल भुगतान में इजाफा हुआ है. लोग कैशलेस पेमेंट मोड को भी बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन अभी भी नकदी लोगों की जरूरत है. इसका प्रचलन अभी भी खत्म नहीं हुआ है. नोटबंदी के पांच साल बाद भी देश में नकदी का चलन बढ़ता ही जा रहा है. आइये आपको कुछ आंकड़ों से समझाते हैं.
इसे भी पढ़े : Bigg Boss 15 : डबल एलिमिनेशन से घरवालों को लगा जोरदार झटका, इस हफ्ते से खुला वीआईपी जोन
5 साल में 64 फीसदी बढ़ा नोटों का सर्कुलेशन
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 5 नवंबर को नकदी का स्तर 17.97 लाख करोड़ था. जो अब पिछले महीने यानी 29 अक्टूबर को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर रही. 2016 से इसकी तुलना करें तो नकदी का स्तर 11.20 लाख करोड़ बढ़ा है. यानी पिछले पांच सालों में नकदी के स्तर में 64 फीसदी की बढ़त हुई है.
कोरोना काल में नकदी का चलन 8.5 फीसदी बढ़ा
आपको बता दें कि पिछले साल कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगाया गया था. जिसके बाद लोगों के पास नकदी बढ़ने लगी. क्योंकि लोगों ने घर में कैश जमा करना शुरू कर दिया था. ताकि जरूरत के समय उनको किसी तरह की परेशानी ना हो. यही कारण है कि पिछले एक साल में मार्केट में नोटों का सर्कुलेशन बढ़ा है. 30 अक्टूबर 2020 को नोटों का सर्कुलेशन 26.88 लाख करोड़ रुपये था. यानी कोरोना काल में पिछले एक साल में नोटों का सर्कुलेशन करीब 8.5 फीसदी बढ़ गया.
इसे भी पढ़े : Bigg Boss 15 : डबल एलिमिनेशन से घरवालों को लगा जोरदार झटका, इस हफ्ते से खुला वीआईपी जोन
25 नवंबर 2016 की तुलना में 211 फीसदी बढ़ी नकदी
मालूम हो कि नोटबंदी के बाद नकदी में भारी कमी आयी थी. 25 नवंबर 2016 को नकदी का स्तर 17.97 लाख करोड़ से सीधे घटकर 9.11 लाख करोड़ पर आ गया था. 25 नवंबर 2016 से तुलना करें तो लोगों के पास नकदी 211 फीसदी बढ़ी है. साल दर साल इसमें करीब 8.5 प्रतिशत और 2.21 लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई है.
डिजिटल ट्रांजैक्शन भी बढ़ा
रिपोर्ट के अनुसार, देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में भी बढ़तोरी हुई है. क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सभी तरीकों से डिजिटल पेमेंट बढ़ा है. यूपीआई की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. अक्टूबर 2021 में डिजिटल प्लेटफॉर्म से करीब 7.71 लाख करोड़ का लेनदेन हुआ. नवंबर में यूपीआई से कुल 421 करोड़ का लेन-देन हुआ है.
मार्केट में सर्कुलेशन का 85.7 फीसदी नोट 500 और 1000 के
31 मार्च 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सर्कुलेशन में रहने वाले कुल बैंक नोट के वैल्यू का 85.7 फीसदी हिस्सा 500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोट का है. हालांकि यह भी सच है कि 2019-20 और 2020-21 के दौरान 2,000 के नये नोट नहीं छापे गये हैं.
इसे भी पढ़े : नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, व्रती खाती हैं सात्विक भोजन