जीतन कुमार
Deoghar: सरकार और उसके नुमाइंदे भले ही अपनी योजनाओं को गरीबों तक पहुंचाने की बात करती हों लेकिन उस योजना को सही से अमली जामा पहनाने में अधिकारियों का हाथ होता है. अधिकारी अपनी जिम्मेवारी ना समझें तो योजनाएं बिल्कुल फिसड्डी साबित होती हैं. यह तस्वीर है देवघर जिले के जसीडीह के डिगरिया गांव की, जहां 70 साल की वृद्ध रूणा महता रहती हैं और उनका पोता जितेंद्र कुमार यादव बेटा और पोता दोनों ही घर की गाड़ी मजदूरी कर चलाता है तब जाकर इनके घरों में शाम का चूल्हा जल पाता है, ये हैं रूना महता जहां इसी फूस के घर में रह कर ठिठुरती रात में ठंड में सो कर रात बिताती हैं, लगातार डॉट इन के संवाददाता को रूना महता बताती हैं कि उनके खाते में पैसा नहीं आया. सारा ब्यौरा बता रही हैं पिछले 5 महीने से इनके खाते में मिलने वाली पेंशन की राशि अभी तक नहीं आई है. रूणा महाता की माने तो इनकी समस्या कोई अधिकारी-पदाधिकारी नहीं सुनते किसी तरह जीवन की गाड़ी खींच रही है.
इसे भी पढ़ें- त्वरित टिप्पणीः क्या पूर्व नियोजित योजना के तहत किशोरगंज चौक पर रोका जाना था सीएम का काफिला, क्या थी साजिश?
खपरैल घर में रहने को मजबूर है परिवार
पोता जितेंद्र यादव की अनुसार खपरैल की बनी घर में रहने को मजबूर हैं. आवाज सभी जगह लगाई लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. अपनी दादी की पेंशन को लेकर भी प्रखंड कार्यालय का चक्कर कई बार लगाया लेकिन वहां भी कोई सुनता नहीं. दादी के खाते को अपडेट कराने के लिए सीएसपी केंद्र में भी गया लेकिन महीनों से मशीन खराब पड़ी है जिससे खाते का अपडेट नहीं मिल पा रहा है.
कई बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर काट चुके हैं अर्जुन यादव
इसी गांव के रहने वाले 70 साल के एक वृद्ध बुजुर्ग अर्जुन यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है इन्हें भी पिछले 4 महीने से पेंशन की राशि अभी तक नहीं मिली उन्होंने भी प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाया. इनके सामने भी नतीजा शून्य निकला सबसे खास बात जो लगी अर्जुन यादव के पेंशन की राशि उनके बेटे भी लेते हैं. इस उम्र में जब बेटा पिता को देने के बजाय लेते हैं तो इससे बड़ी दुख की बात और क्या हो सकती है.
देखें वीडियो