जेएससीए स्टेडियम : भारत- दक्षिण अफ्रीका मैच के दौरान रांची के राजकुमार की चर्चा – वर्ष 2013 में बॉक्स खरीदने की योजना बना रहे थे धोनी
Tapan Gorai
Ranchi : राजधानी के जेएससीए स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच हो और महेंद्र सिंह धोनी का जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं. जब से भारत और दक्षिण अफ्रीका वनडे मैच की तिथि की घोषणा हुई है, लोग चर्चा करने लगे हैं कि मैच के दौरान धोनी रांची आ रहे या नहीं. क्योंकि रांची के राजकुमार के शहर में मैच हो और उनकी उपस्थिति न हो. यह बात लोगों के गले नहीं उतरती. उनके चाहने वाले भी चाहते हैं कि ऐसे मैचों में धौनी भी उपस्थित रहें तो बहुत अच्छा हो. सच तो यह है कि दूसरे राज्यों के लोग तो अब रांची को धोनी के शहर के नाम से ही जानते हैं. राज्य के बाहर पहचान बताने पर लोग कहते हैं कि अच्छा आप धोनी के शहर से हैं.
जब धौनी की चर्चा हो ही रही है तो चलिये जेएससीए स्टेडियम से जुड़ा उनका एक वाकया भी साझा करते हैं. बात साल 2013 की है. उस समय जेएससीए स्टेडियम नया-नया बना था. स्टेडियम को बनाने में काफी पैसा खर्च हो चुका था. फिर से बहुत से काम बाकी थे. जिसकी वजह से जेएससीए चाहता था कि कुछ ऐसा काम किया जाये कि एसोसिएशन के खाते में पैसा आये. जेएससीए आर्थिक दृष्टि से समृद्धि बने.
इसी ख्याल से राज्य क्रिकेट संघ की ऐसी योजना पर बात चल रही थी कि कुछ पवेलियन और बॉक्स की नीलामी दस साल के लिये की जाये, ताकि एसोसिएशन के खाते में कुछ पैसा आ जाये. तब राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ने कॉर्पोरेट बॉक्स की नीलामी की योजना बनायी थी. यह वह दौर था जब अपनी जिंदगी के शुरुआती दौर में तंगहाली देख चुके धोनी के पैर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पूरी तरह छाये हुए थे. लेकिन भविष्य की आर्थिक चिंता उन्हें अब भी सता रही थी. धोनी के मन में उस समय जेएससीए की यह बॉक्स खरीदने की इच्छा जागी थी. उन्हें लगा था कि यह अच्छा अवसर है. बॉक्स के सौदे से भविष्य में कुछ पैसा आता रहेगा. इसे खरीदने के लिये धोनी ने स्टेडियम में जाकर काॅर्पोरेट बॉक्स को बहुत करीब से भी देखा था. बॉक्स में बैठकर फोटो भी खिंचवायी. लोगों के बीच इस बात की चर्चा थी कि अब धौनी के पास काफी पैसा आ गया है. वह जेएससीए में बॉक्स खरीद रहे हैं. इस खबर ने अखबारों में भी खूब सुर्खियां बटोरी थी. बाद में धौनी ने अपना इरादा बदल दिया. हालांकि, जेएससीए की यह योजना बाद में टल गयी. .
जानकार कहते हैं कि कार्पोरेट बॉक्स में सीटों की संख्या और जेएससीए को साल में अधिकतम दो या तीन अंतरराष्ट्रीय मैच मिलने की उम्मीद की गणना में शायद धोनी को यह सौदा उतना फायदेमद नहीं लगा. शायद यही वजह रही होगी कि उन्होंने अपना इरादा बदल दिया. संयोग देखिये इसके बाद धोनी ने अंतरराष्ट्रीय मैचों में इस कदर शानदार प्रदर्शन किया कि जेएससीए ने उनके सम्मान में साउथ पवेलियन का नाम ही महेंद्र सिंह धौनी पवेलियन रख दिया.