Girish Malviya
पांच जनवरी की शाम से WhatsApp ने भारतीय यूजर्स को अपनी टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर अपडेट भेजना शुरू किया है. वॉट्सऐप ने यूजर्स को नई पॉलिसी को एक्सेप्ट करने के लिए 8 फरवरी 2021 तक का समय दिया है. तब तक पॉलिसी को यूजर्स को एक्सेप्ट करना होगा वरना अकाउंट डिलीट करना होगा.
दुनिया बहुत तेजी से बदली है. आज विश्व में व्हाट्सएप के यूजर की संख्या 200 करोड़ को भी पार कर गयी है. यह सूचना क्रांति का युग है.
यह ई कॉमर्स का युग है. रेडियो को जन-जन तक पहुंचने में लगभग 50 बरस लगे थे. टीवी को लगभग 25 साल, इन्टरनेट को 15 साल और फेसबुक व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट्स/ एप्प कुछ ही सालों में दुनिया में छा गयी है.
प्रश्न यह उठता है कि हम पर इसका क्या प्रभाव हो रहा है. इसे हम ठीक से समझ भी पा रहे हैं या नहीं. आज कोई भी एप्प हम इंस्टॉल करते हैं और उसकी टर्म और कंडीशन को बिना ठीक से पढ़े एक्सेप्ट कर लेते हैं.
चूंकि व्हाट्सएप अब अधिकांश भारतीय लोगों के जीवन का एक हिस्सा हो गया है, तो एक बार जरा इन सब बातों पर ठिठक कर विचार करने की जरूरत है.
– WhatsApp अब आपके स्टेटस पढ़ने जा रहा है.
वॉट्सएप आपकी लोकेशन भी एक्सेस करेगा.
अब अगर आप फोटो, वीडियो फॉरवर्ड करते हैं, तो वे वॉट्सएप के सर्वर पर अधिक समय तक स्टोर रहेंगे.
एंड टू एंड डिस्क्रिप्शन वाली बात अब खत्म ही समझिए. वॉट्सएप ने कहा है कि वह ऐसा आपको फॉरवर्ड करने में मदद के लिए कर रहा है. लेकिन इसका मतलब है कि उसके पास जानकारी होगी कि फलां फोटो बहुत फॉरवर्ड हो रहा है. ऐसा वह फेक न्यूज को ट्रैक करने के लिए कर रहा है.
पर, असलियत में यह बात इतनी सरल नहीं है. WhatsApp अब बिजनेस अकाउंट पर भी नजर रखेगा. इनसे शेयर होने वाले सारे कैटलॉग का एक्सेस उसके पास होगा.
WhatsApp ने पहली बार कहा है कि वह आपके हर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का डेटा लेगा. यानी बैंक का नाम, कितनी राशि और डिलीवरी का स्थान आदि ट्रैक होगी. यही नहीं, फेसबुक-इंस्टाग्राम भी आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन जान जाएंगे. ध्यान दीजिए कि कुछ ही महीनों में खुद की पेमेंट सर्विस शुरू कर रहा है.
दरअसल, व्हाट्सएप का अधिपत्य अब फ़ेसबुक के पास ही है. फ़ेसबुक ने व्हाट्सएप को वर्ष 2014 में 19 अरब डॉलर में खरीद लिया था. अक्टूबर 2020 में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा था कि कंपनी मैसेंजर चैट, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप को मर्ज करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. ताकि वे एक तरीके से जुड़े इंटरऑपरेबल सिस्टम की तरह काम करना शुरू कर सकें.
यह नीति एक तरह की आर्टिफिशियल इंटलीजेंस को सपोर्ट करने को लायी जा रही है. वॉट्सऐप की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में आपके पास ये आजादी थी कि अपने वॉट्सएप अकाउंट की जानकारी को फ़ेसबुक के साथ साझा होने से रोक सकते थे. लेकिन नई पॉलिसी में इस बात की गुंजाइश खत्म हो गई है.
आप कहेंगे कि इनसे हमको क्या फर्क पड़ेगा?
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है 21वीं शताब्दी की शुरुआत सूचना क्रांति से हुई है और यह ई-कॉमर्स का युग है.
“आज जो सूचनाओं और डेटा को नियंत्रण में रख रहा है, वही दुनिया के व्यापार और व्यवहार को नियंत्रित करेगा.”
यही इस वर्तमान ई-कॉमर्स जगत का आधारभूत सिद्धांत है.
हमने अब तक 20वीं शताब्दी की शुरुआत में कैपिटलिज़्म को देखा है. शताब्दी के अंत तक आते-आते वह क्रोनी कैपिटलिज़्म में परिवर्तित हो गया. लेकिन यह शताब्दी एक नयी तरह के पूंजीवाद को देख रही है जिसे सर्विलांस कैपिटलिज़्म कहा जा रहा है.
यह भयावह निगरानी पूंजीवाद हमारे चारों तरफ व्याप्त है. इसकी भयानकता को समझने में बड़े-बड़े बुद्धिजीवी भी चूक कर रहे हैं. हम आर्टिफिशियल इंटलीजेंस की दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं. और जब बिग डेटा के सहारे AI यानी आर्टिफिशियल इंटलीजेंस सूचनाओं के अंबार में से पैटर्न तलाशता है, तो कई अचंभित करने वाली बातें सामने आती हैं.
2012 में एक अमेरिकी कस्टमर को एक बड़े अमेरिकी रिटेल विक्रेता द्वारा भेजे गए संदेश ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया था. दरअसल AI की सहायता से उस बड़े विक्रेता ने एक कस्टमर को होने वाले बच्चे के जन्म का बधाई संदेश भेज दिया था. बिग डेटा की सहायता से साइट ने ऑनलाइन सर्च और खरीदारी रुझान के आधार पर बच्चे के जन्म का अंदाजा लगाकर संदेश भेजा था. जबकि वह कस्टमर 12 साल की एक नाबालिग लड़की थी और उसके मां-बाप को गर्भावस्था के बारे में कोई खबर नहीं थी.
यानी अब कुछ भी संभव है. व्हाट्सएप द्वारा आपको यूजर पॉलिसी का टर्म्स एंड एग्रीमेंट पर एक्सेप्ट करने को कहना एक चेतावनी ही है. आप चाहे तो इसे नजरअंदाज भी कर सकते हैं.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.