Dumka : सावन महीने में देश भर के सभी शिवालयों में भगवान शिव का जल और बेलपत्र से अभिषेक किया जा रहा है. महज जल और बेलपत्र से प्रसन्न होने वाले भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है. श्रावणी मेले में हर रोज हज़ारों की तादाद में कांवड़िया देवघर के बाबा वैद्यनाथ धाम और दुमका के बाबा बासुकीनाथ मंदिर में अपने अराध्य देवाधिदेव पर गंगा जल और बेलपत्र अर्पित कर महादेव को अपनी मनोइच्छा सुनाते हैं. कांवड़ियों का कहना है कि जल और बेलपत्र से ही प्रसन्न होकर महादेव उनकी मनोकामनाएं पूरी कर देतें हैं. बाबाधाम और बासुकीनाथ में भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाने की अति प्राचीन परंपरा है. प्रत्येक दिन शाम में बेलपत्र और फूलों से ही शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है.
समुद्र मंथन से मिले 14 रत्नों में एक बेलपत्र
तीन पत्तियों से अधिक पत्ती वाला विल्व पत्र बाबा पर चढ़ाना अति सौभाग्यशाली होता है. उंठल सहित विल्व पत्र के त्रिदल पर रक्त चंदन से राम नाम लिखकर भगवान शिव को चढ़ाने से सिद्धिदायक होता है. ऐसा कहा जाता है कि तीन पत्तियों वाला विल्व पत्र के बीच वाले पत्र में शिवजी, बांये वाले पत्र में ब्रह्मा और दायें वाले पत्र में विष्णु जी का निवास होता है. पंडा धर्म रक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा कहते है समुद्र मंथन के समय मिले 14 रत्नों में से एक रत्न बेलपत्र भी है. बेलपत्र तीन दल, चार दल से 11 दल तक का मिलता है, जो काफी दुर्लभ है. शास्त्रों में भी लिखा है 3 दल का बेलपत्र बाबा पर चढ़ाने से तीन जन्मों का पाप मिटता है. बेलपत्र खाने मस्तक पर रखने से ठंडक मिलती है. उन्होंने बताया कि श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था और बाबा भोले नाथ ने हलाहल विष का पान किया था. विष के असर को कम करने के लिए बाबा के मस्तक पर बेलपत्र रख कर गंगाजल चढ़ाया जाता है.
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