Chakulia : पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया प्रखंड के दुर्गा प्रसाद हांसदा आदिवासी पारंपरिक वाद्ययंत्र केंदरी को बचाए रखने की मुहिम में जुटे हैं. बर्डीकानपुर-कालापाथर पंचायत के माछकांदना गांव के रहनेवाले दुर्गा संथाल जनजाति से आते हैं. बचपन से ही वाद्ययंत्रों से उनका लगाव रहा है. लेकिन केंदरी जैसे वाद्ययंत्र धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर पहुंचने लगे. यह देख दुर्गा प्रसाद हांसदा ने इसे संरक्षित रखने के लिए इसे बनाने का काम शुरू किया. साथ ही केंदरी और बांसुरी बजाने की शिक्षा बच्चों को भी देनी शुरू की, ताकि यह ये वाद्ययंत्र पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रह सकें.

चाकुलिया के दुर्गा हांसदा ने विलुप्त हो रहे संथाल के पारंपरिक वाद्य यंत्र केंदरी को फिर प्रचलन में लाया

https://youtu.be/MkO1UC57HVc
Chakulia : पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया प्रखंड के दुर्गा प्रसाद हांसदा आदिवासी पारंपरिक वाद्ययंत्र केंदरी को बचाए रखने की मुहिम में जुटे हैं. बर्डीकानपुर-कालापाथर पंचायत के माछकांदना गांव के रहनेवाले दुर्गा संथाल जनजाति से आते हैं. बचपन से ही वाद्ययंत्रों से उनका लगाव रहा है. लेकिन केंदरी जैसे वाद्ययंत्र धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर पहुंचने लगे. यह देख दुर्गा प्रसाद हांसदा ने इसे संरक्षित रखने के लिए इसे बनाने का काम शुरू किया. साथ ही केंदरी और बांसुरी बजाने की शिक्षा बच्चों को भी देनी शुरू की, ताकि यह ये वाद्ययंत्र पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रह सकें.
Chakulia : पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया प्रखंड के दुर्गा प्रसाद हांसदा आदिवासी पारंपरिक वाद्ययंत्र केंदरी को बचाए रखने की मुहिम में जुटे हैं. बर्डीकानपुर-कालापाथर पंचायत के माछकांदना गांव के रहनेवाले दुर्गा संथाल जनजाति से आते हैं. बचपन से ही वाद्ययंत्रों से उनका लगाव रहा है. लेकिन केंदरी जैसे वाद्ययंत्र धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर पहुंचने लगे. यह देख दुर्गा प्रसाद हांसदा ने इसे संरक्षित रखने के लिए इसे बनाने का काम शुरू किया. साथ ही केंदरी और बांसुरी बजाने की शिक्षा बच्चों को भी देनी शुरू की, ताकि यह ये वाद्ययंत्र पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रह सकें.