गांधी ने कहा, अन्नदाता की शहादत से नहीं, ट्रैक्टर रैली से शर्मिंदा हो रही है मोदी सरकार
नये टैक्स के जगह विवाद सुलझाने की सलाह
वित्त वर्ष 2018-19 तक लगभग 9.5 लाख करोड़ रु. के टैक्स को लेकर विवाद चल रहा था. इसमें कॉर्पोरेट टैक्स के 4.05 लाख करोड़ रुपए, इनकम टैक्स के 3.97 लाख करोड़ रु और कमोडिटी तथा सर्विस टैक्स के 1.54 लाख करोड़ रु शामिल हैं. इस पर अर्थशास्त्रियों ने बजट में नये टैक्स नहीं लगाने की सलाह दी है. इस बात का पता तब चला, जब SBI ने अपनी रिपोर्ट जारी की. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार को टैक्स विवाद को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए. इसे भी पढ़े:लोहड़ी">https://lagatar.in/kangana-shares-childhood-memories-on-lohri-taapsee-also-wishes/17570/">लोहड़ीपर कंगना ने शेयर की बचपन की याद, तापसी ने भी दी शुभकामनाएं
सरकार की फिस्कल डेफिसिट 7.4 फीसदी जाने की अंदेशा
सरकार का खर्च काफी बढ़ गया है. खर्च के बढ़ने से सरकार की फिस्कल डेफिसिट में भी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही महामारी के कारण सरकार की रेवन्यू में भी कमी आयी है. बजट 2021 में रेवेन्यू का आकलन 3.2 लाख करोड़ रु कम रहने का अनुमान है. वहीं दूसरी ओर सरकार का खर्च 3.3 लाख करोड़ रु बढ़ने की उम्मीद है. यही कारण है कि सरकार की फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 7.4 फीसदी तक पहुंच सकती है. यह आंकड़ा पिछले एक दशक में सबसे अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सरकार का घाटा 14.46 लाख करोड़ रु तक पहुंच सकता है. इसे भी पढ़े:जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-villagers-protest-against-illegal-coal-trade-pollution-happening-in-the-village/17540/">जामताड़ा: कोयला के अवैध कारोबार का ग्रामीणों ने किया विरोध, गांव में हो रहा प्रदूषण