
इडी ने 800 करोड़ के जीएसटी घोटाले में अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया को गिरफ़्तार किया

Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय ने 800 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया को गिरफ़्तार कर लिया है. जीएसटी घोटाले में इडी द्वारा झारखंड में किसी को गिरफ़्तार किये जाने की यह पहली घटना है. वह 800 करोड़ के जीएसटी घोटाले के मास्टर माइंड में से एक है. इससे पहले जीएसटी घोटाले में जीएसटी इंटेलीजेंट की टीम ने गिरफ़्तार किया था. उसके ठिकाने से जीएसटी घोटाले से जुड़े काफी दस्तावेज जब्त किये गये हैं. इडी ने जीएसटी घोटाले में गुरूवार की सुबह सात बजे इस घोटाले से जुड़े चार लोगों के झारखंड और बंगाल के कुल नौ ठिकानों पर छापामारी शुरू की. इडी ने जीएसटी घोटाले में छापेमारी के दायरे में रांची के विवेक नारसरिया, जमशेदपुर के अमित अग्रवाल उर्फ विक्री भालोटिया, कोलकाता के शिव कुमार देवड़ा, अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता को शामिल किया है. इडी से पहले डायरेक्ट्रेट जेनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (डीजीजीआइ) भी इन व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. देवड़ा, भालोटिया और गुप्ता को गिरफ्तार कर चुकी है. लेकिन नारसरिया गिरफ्तारी से बच निकला था. इडी ने इन व्यापारियों के खिलाफ जीएसटी घोटाले के पैसों की लाउंड्रिंग के आरोप में अपनी कार्रवाई शुरू की है. इन व्यापारियों पर 14325 करोड़ रुपये का कागजी व्यापार कर 800 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट(आइटीसी) का अनुचित लाभ लेने और इसका मनी लाउंड्रिंग कर संपत्ति अर्जी करने का आरोप है. आइटीसी का अनुचित लाभ लेने के लिए इन व्यापारियों द्वारा दूसरे लोगों के आधार, पैन सहित अन्य दस्तावेज का इस्तेमाल कर कागजी कंपनियां बनायी जाती है. इन कंपनियों के सहारे करने के कागजी व्यापार कर आइटीसी का अनुचित लाभ लिया जाता है. यानी बिना सामग्रियों के ही सामग्रियों की खरीद बिक्री के लिए बिल बनाते हैं और आइटीसी का लाभ लेने के बाद कंपनी बंद कर देते हैं. शिव कुमार देवड़ा को 800 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले का मास्टर माइंड माना जाता है. भालोटिया, नारसरिया और गुप्ता बंधु इनसे संबंधित है. भोलोटिया पहले देवड़ा के साथ मिल कर काम करता था. बाद में उसने अलग कंपनी बना कर कागजी व्यापार के सहारे आइटीसी का अनुचित लाभ लेने लगा. जांच के दौरान देवड़ा द्वारा 150 से अधिक कागजी कंपनियां बनाने की जानकारी मिली है. देवड़ा की कागजी कंपनियां घर में झाड़ू-पोछा करने वाली महिलाओं सहित इसी तरह के गरीब लोगों के नाम पर बनी हुई है. इन लोगों को नौकरी देने और बैंक खाते में वेतन देने के नाम पर आधार, पैन, सहित अन्य दस्तावेज लेने के बाद उसी के सहारे फर्जी कंपनियां बनायी गयी है. देवड़ा द्वारा फर्जी बिलों के सहारे करीब 500 करोड़ रुपये के जीएसटी का अनुचित लाभ लेने का अनुमान है. कोलकाता के अमित गुप्ता और सुमित गुप्ता पर भी फर्जी कंपनियों के सहारे कागजी व्यापार कर 150 करोड़ रुपये के आइटीसी का अनुचित लाभ लेने का आरोप है. जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया पर 50 से अधिक फर्जी कंपनी बना कर 100 करोड़ रुपये से अधिक के आइटीसी का अनुचित लाभ लेने का आरोप है. भालोटिया को 734 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया गया था डायरेक्ट्रेट जेनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने इन व्यापारियों के ठिकानों पर वर्ष 2023 में छापा मारा था. डीजीजीआई ने जांच के दौरान इन व्यापारियों द्वारा फर्जी बिल के सहारे 734 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले के अंजाम देने का मामला पकड़ा था. छापामारी के दौरान मिले दस्तावेज के आधार पर जमशेदपुर के व्यापारी अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया को दिसंबर 2023 में गिरफ्तार किया था. शिव कुमार देवड़ा को अप्रैल 2024 में, अमित गुप्ता व सुमित गुप्ता को अप्रैल 2024 में गिरफ्तार किया था. डीजीजीआइ की टीम विवेक नारसरिया को गिरप्तार करने उसके घर पर पहुंची थी, लेकिन वह टीम के पहुंचने के पहले ही घर से गायब हो गया था. डीजीजीआइ ने नारसरिया पर 14 करोड़ रुपये की वसूली के लिए दावा किया है. क्षेत्र के मामले में उभरे विवाद के बाद हाईकोर्ट ने नारसरिया द्वारा की गयी गड़बड़ी की जांच राज्य सरकार को सौंप दी. डीजीजीआइ ने हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.