- झारखंड के किसी भी क्षेत्र में कांग्रेस की पांच न्याय, 25 गारंटी का फ्लैक्स तक नहीं
- शहर में पीएम मोदी व भाजपा के गारंटी का फ्लैक्स हर चौक–चौराहों पर, कांग्रेस का ढूंढने से नहीं मिलेगा
- कांग्रेस प्रत्याशी अपने दम पर जुटे हैं चुनावी समर में, प्रदेश नेतृत्व से नहीं मिल रहा कोई भी आपेक्षित सहयोग
Kaushal Anand
Ranchi : कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए यह लोकसभा चुनाव राजनीतिक जीवन-मरन का प्रश्न बन गया है. झारखंड में इनके स्टार नेता पूर्व सीएम हेमंत सोरेन जेल में हैं. वहीं, कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व चुनावी मैनजमेंट पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है. प्रत्याशियों को उनके खुद के भरोसे छोड़ दिया गया है. अगर राष्ट्रीय नेता की चुनावी सभा को छोड़ दिया जाए, तो अन्य सभी मामलों में प्रदेश नेतृत्व पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है.
भाजपा को बखूबी काउंटर कर रहा है झामुमो
कांग्रेस के हर प्रत्याशी अपने दम पर चुनावी अभियान को आगे खींच रहे हैं. यहां तक कि प्रदेश नेतृत्व मीडिया मैनेजमेंट में पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है. यहां कांग्रेस का काम झामुमो कर रहा है. झामुमो लगातार अंतराल में प्रेस मीट आयोजित करके पीएम मोदी और भाजपा को घेरने का काम कर रहा है. मगर इस मामले में भी कांग्रेस विफल साबित हुई है. प्रत्याशियों को पार्टी के झंडा-बैनर तक की कमी से जूझना पड़ रहा है. प्रदेश नेतृत्व यह भी उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हो रहा है.
राज्य सरकार में कांग्रेस के चार–चार मंत्री, मैनेजमेंट शिथिल
प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन की सरकार चल रही है. पार्टी के एक नहीं, बल्कि चार-चार मंत्री हैं. मंत्रियों के पीएस के पास से करोड़ों रुपये जब्त किए जा रहे हैं. इसके बाद भी प्रदेश नेतृत्व, मंत्री या विधायक कांग्रेस की पांच न्याय 25 गारंटी का एक फ्लैक्स तक लगवाने की स्थिति में नहीं है. रांची शहर की बात करें, तो हर चौक-चौराहों पर भाजपा की गांरटी के साथ पीएम मोदी के बड़े-बड़े होर्डिंग्स और फ्लैक्स नजर आ जाएंगे. मगर कांग्रेस का ढूंढने से भी नहीं मिलेगा. अब सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई में प्रदेश नेतृत्व, मंत्री या उनके विधायक कम से कम शहर और अपने क्षेत्र में फ्लैक्स और होर्डिंग लगाने में सक्षम नहीं हैं.
दिशा–निर्देश देकर कोरम पूरा कर रहा प्रदेश नेतृत्व
अगर कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व की बात करें, तो चुनाव को लेकर एक दर्जन से अधिक कमेटी बना दी गयी है. कमेटी की बैठक कर दिशा-निर्देश जारी करके कोरम पूरा कर लिया जा रहा है. मगर वह कमेटी ग्राउंड लेबल पर क्या काम कर रही है, उसकी प्रगति रिपोर्ट क्या है, उसे देखने वाला कोई नहीं है. अब तक मीडिया सेल, चुनाव संचालन समिति, सोशल मीडिया सेल सहित अन्य तरह की कमेटियों की कई बैठकें हुईं, दिशा-निर्देश भी जारी हुए, मगर ग्राउंड लेवल पर कुछ भी होता नहीं दिख रहा है. कांग्रेस की मीडिया सेल या सोशल मीडिया सेल अपने स्तर से भाजपा को काउंटर करने में पूरी तरह से विफल रही है.
पांच न्याय, 25 गांरटी का पंपलेट बांटने में भी विफल
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पांच न्याय, 25 गांरटी जारी की थी. इसके बाद इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई थी, जिसमें तय किया गया कि घोषणा पत्र को झारखंड के सभी क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा में अनुवाद करके जन-जन तक इसे पहुंचाने का काम कार्यकर्ता करेंगे. शुभम संदेश ने रांची के कई ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करके जानने की कोशिश की, मगर अधिकांश लोगों को उनके क्षेत्रीय भाषा में न्याय गांरटी पत्र मिलना तो दूर, हिंदी का पत्र भी नहीं मिल पाया है. हालांकि, प्रत्याशी जहां-जहां घूम रहे हैं, वहां हिंदी में लिखित न्याय गारंटी पत्र बांटते हुए मिले और योजनाओं के बारे में जानकारी देते मिले. यानी कि प्रदेश नेतृत्व अपनी तरफ से कांग्रेस की पांच न्याय, 25 गांरटी पंपलेट भी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने में अपने स्तर से विफल रही है.
चुनावी मैनेजमेंट के लिए दो–दो कॉर्डिनेटर, नतीजा सिफर
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने झारखंड में चुनावी मैनेजमेंट, प्रचार मैनेजमेंट और मीडिया मैनेजमेंट के लिए अपने दो-दो कॉर्डिनेटर भेजे हैं. इसमें समर कुमार सिंह और वैभव शुक्ला शामिल हैं. इनका काम मीडिया मैनजमेंट अर्थात मीडिया के जरिए भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे भाषण का काउंटर करना तथा अपनी पार्टी की बात को मजबूती से रखना है. इसके साथ ही कांग्रेस एवं अन्य गठबंधन दलों के प्रत्याशियों को स्थानीय स्तर पर हर तरह से सहयोग कैसे किया जाए, यह भी देखना है. गठबंधन दलों के साथ आपसी समन्वय स्थापित करके पूरे चुनावी अभियान को भी चुस्त-दुरूस्त रखना है. मगर यह भी ग्राउंड पर कहीं नहीं दिख रहा है. मीडिया में पीएम मोदी और भाजपा को काउंटर करने का काम तो यहां पर झामुमो ने संभाल रखा है.
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