Ranchi: बिजली भुगतान के लिए हुए त्रिपक्षीय समझौते से झारखंड के हटने के बाद सियासत और ज्यादा गरमाने लगी है. जेएमएम का कहना है कि रघुवर सरकार ने झारखंड के हितों को नजरअंदाज करते हुए झारखंड सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्रिय उर्जा मंत्रालय के बीच ये समझौता किया था. जेएमएम के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडे बीजेपी पर हमलावर हुए. उन्होंने कहा कि आरबीआई में जमा पैसा केंद्र द्वारा काटने पर कहा कि इसमें राजनीतिक विद्वेष नजर आता है और एक बार तो केंद्र सरकार ने पैसा काट लिया.
फिर पैसा कटा कोर्ट जाएगी झारखंड सरकार
मनोज पांडेय ने कहा कि अगर दोबारा ऐसा हुआ तो झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. क्योंकि झारखंड कैबिनेट ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया है. पिछली सरकार ने मोमेंटम झारखंड में हाथी उड़ाने में कई सौ करोड़ रूपए खर्च कर दिए. लेकिन डीवीसी को बकाए का भुगतान नहीं किया. तब ना तो डीवीसी ने बिजली की कटौती की और ना ही केंद्र सरकार ने पैसे काटे. लेकिन यूपीए की सरकार में इन्होने ऐसा किया. जेएमएम ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि अन्य मदों में जो पैसा बकाया है उसका भुगतान केंद्र को करना चाहिए. चाहे वो सीसीएल, बीसीसीएल, एचईसी या स्टील का हो. इन बकायों के भुगतान के लिए केंद्र को भी हस्तक्षेप करना होगा. जेएमएम ने तंज कसते हुए कहा कि रघुवर दास को पता था कि वे दोबारा सत्ता में आने वाले नहीं हैं. इसलिए उन्होंने जानबूझ बकाए का भुगतान नहीं किया.
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“इसके पीछे षडयंत्र की बू” – बीजेपी
वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि त्रिपक्षीय समझौता तोड़ने के पीछे उन्हे ‘षडयंत्र की बू’ आ रही है. अब ये देखना है कि सरकार किससे बिजली खरीदेगी. क्योंकि झारखंड की जनता को बिजली चाहिए और बिजली कोई भी मुफ्त में नहीं देगा.उन्होने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे तो कई कंपनियां आती थीं और महंगे दर पर बिजली देने की बात करती थीं. इसलिए उन्हे इसके पीछे का खेल पता है.
जहां तक झारखंड सरकार का बकाया जो केंद्र सरकार के पास है. इसपर बाबूलाल मरांडी ने उसका डीटेल मांगा है और कहा कि उसके भुगतान के लिए वे भी अपनी तरफ से मदद करेंगे. वहीं इस मामले पर बीजेपी नेता शिवपूजन पाठक ने कहा कि केंद्र ने जो पैसा काटा वह समझौते के तहत काटा है. झारखंड सरकार इस मामले पर जनता को दिग्भ्रमित कर रही है.
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