Search

नौसेना के फ्रिगेट युद्धपोत के लिए रांची में तैयार होगा इंजन, मेरिन डीजल को मिली है जिम्मेवारी

Ranchi : भारतीय नौसेना के मध्यम दर्जे वाले युद्धपोत (फ्रिगेट) का इंजन रांची में मेक इन इंडिया के तहत बन रहा है. रक्षा मंत्रालय के गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड के रांची स्थित मेरीन डीजल इंजन प्लांट में इंजन का निर्माण होगा. इंजन का निर्माण एचईसी और रक्षा मंत्रालय के प्रतिष्ठान गार्डेन रीच मिलकर करेंगे. हाल ही में एचईसी ने रूसी कंपनियों के साथ युद्धपोत के इंजन निर्माण के लिए समझौता किया है. इंजन निर्माण को लेकर कार्य शुरू कर दिया गया है. इंजन निर्माण के लिए एचईसी और मेरिन डीजल के बीच पहले ही एमओयू हो चुका है. एचईसी प्लांट प्लाजा रोड स्थित मेरिन डीजल इंजन प्लांट 64 एकड जमीन पर है. प्लांट में इपोक्सी फ्लोरिंग, इंजन पेंट बूथ, एसी स्टोर, एसी टूल रूम के साथ ही चार हजार से अधिक क्षमता के सीरीज इंजनों के असेंबल करने की भी व्यवस्था है. फ्रिगेट के लिए बनने वाला इंजन रूसी कंपनियों की तकनीक से तैयार होगा. केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी मिल गयी है. इंजन निर्माण को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार हो गया है. जल्द ही इंजन का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इस इंजन के निर्माण के लिए मेरीन डीजल प्लांट में आधुनिक शॉप तैयार कर लिया गया है. इसे भी पढ़ें - गोड्डा:">https://english.lagatar.in/godda-district-coordinators-demand-huge-amount-for-connecting-hospitals-with-ayushman-yojana-chief-medical-officer-mourns/44638/">गोड्डा:

जिला कॉर्डिनेटर आयुष्मान योजना से अस्पतालों को जोड़ने के लिए मांगते हैं मोटी रकम, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने किया शोकॉज

क्या है फ्रिगेट युद्धपोत

फ्रिगेट एक मध्यम आकार का युद्धपोत होता है, जिसका तेज गति और फुर्ती से दिशा बदलने की दृष्टि से निर्माण किया जाता है. इसका प्रयोग अन्य नौकाओं और जहाजों के साथ चलकर उनकी रक्षा करने, उनके लिए सामान और रसद लाने-जाने और तेजी से किसी छोटी नौका को पकड़ने के लिए किया जाता है.

आधुनिकीकरण के बाद बढ़ी है मेरिन डीजल प्लांट की क्षमता

मेरिन डीजल प्लांट में पहले जहाज के इंजन की एसेंबलिंग और मरम्मत की जाती थी. वर्तमान डिमांड को देखते हुए प्लांट का 12 करोड़ में आधुनिकीकरण किया गया है. इसके बाद मेरिन डीजल प्लांट की क्षमता बढ़ी है. अब यहां जहाज के इंजन के साथ-साथ मध्यम दर्जे के युद्धपोत का निर्माण भी किया जा सकता है. साथ ही 2016 में पोर्टेबल स्टील ब्रिजों के लिए अतिरिक्त उत्पादन सुविधाएं स्थापित की गयी. रक्षा मंत्रालय के अधीन चलने वाली गार्डन रीच के पास जहाज के इंजन निर्माण के कार्यादेश बढ़ने के बाद इस प्लांट का उपयोग करने को सोचा गया. इसके लिए एचईसी से बात की गयी थी. दोनों कंपनियों ने इंजन निर्माण में खुद को सक्षम बताया, तब इंजन मैन्यूफैक्चरिंग की जिम्मेवारी मिली.

इंजन निर्माण में रूसी तकनीक का होगा इस्तेमाल

एचईसी ने रूस के सहयोग से तकनीक देने और निर्माण में सहयोग करने को लेकर अपनी सहमति दी. इसके बाद संयुक्त रूप से इंजन निर्माण करने का निर्णय लिया गया. बता दें कि एचईसी को नौसेना ने अपना अधिकृत वेंडर बनाया है. नौसेना के काम के लिए एचईसी में भी एक यूनिट खोली गयी है. https://english.lagatar.in/increase-in-digital-transactions-in-march-transactions-worth-rs-5-lakh-crore-through-bhima-upi/44648/

Follow us on WhatsApp