- पहले पानी भरने के लिए मची रहती अफरा-तफरी, हर दिन होता है लड़ाई-झगड़ा
- बाल्टी-छोटी टंकी, बर्तन की लगती है लाइन, पुलिस तैनात कर बंटवाना पड़ता है टैंकर का पानी
Tarun Kumar
Ranchi : राजधानी रांची के बीचो-बीच वार्ड नंबर 28-34. डेढ़ से दो लाख की आबादी. वार्ड 28 की आबादी लगभग 50-70 हजार के बीच. वार्ड 34 की आबादी भी लगभग 80 हजार से एक लाख के बीच. कुएं सूख गये हैं, चापानल ठप हैं. घरों में पानी का कोई स्रोत नहीं है. नगर निगम की ओर से वार्ड 34 में एचवाईडीटी से पानी की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन 80 प्रतिशत फेल हैं. कुछ पूरी तरह से सूख गये हैं, तो कुछ में सुबह थोड़ी देर पानी निकलता है. फिर सिस्टम हाफ जाता है. लोग पानी के लिए भटकते हैं. रतजगा करते हैं पानी के लिए, ताकि सुबह एचवाईडीटी से पानी निकले, तो पहले ही भर लें. फिर शुरू होता है निगम के टैंकर का इंतजार. रात भर बाल्टी, छोटी टंकी, बर्तन की लाइन लगी रहती है. टैंकर के पहुंचते ही मधुमख्खियों के झुंड की तरह बच्चे, बुजुर्ग, युवा-महिलाएं घरों से निकल कर टैंकर को घेर लेते हैं, ताकि अपने बर्तन में जल्दी से जल्दी पानी भर लें, ताकि टैंकर खाली होने से पहले उनका काम बन जाये. अफरा-तफरी मचती है. पहले हम, पहले हम की जोर-आजमाइश शुरू होती है. कुछ महिलाएं, बच्चे तो टैंकर पर सवार हो जाते हैं और वही से छोटे-छोटे बर्तन से पानी निकाल कर अपने बर्तन, बाल्टी में भरने लगते हैं.
मां… जल्दी करो… घर की टंकी में पानी उडेल कर जल्दी आओ
टैंक पर चढ़े बच्चे-युवा जल्दी-जल्दी पानी निकालते हैं. उनके घर की महिलाएं ऊपर से पानी लेकर बाल्टी में डालती हैं. बच्चे शोर मचाते हैं, मां.. जल्दी करो.. घरवाली टंकी में पानी उडे़ल कर जल्दी आओ, नहीं तो टैंकर खाली हो जायेगा. ऐसा नजारा हर रोज देखने को मिलता है. टैंकर पर सवार होने की अफरा-तफरी में रोज दर्जनों फिसल कर गिरते हैं, चोट लगती है, लेकिन पानी के लिए चोट-दर्द सब बर्दाश्त करते हैं.
हर रोज-तू-तू, मैं-मैं, गाली-गलौज और मारपीट
टैंकर से जल्दी-जल्दी पानी भरने, फिर अपने घर का स्टोरेज पूरा करने के चक्कर में मुहल्ले के लोगों में हर रोज तू-तू, मैं-मैं होती है. बात बढ़ती है, तो गाली-गलौज, मारपीट तक की नौबत आ जाती है. झोंटा-झोंटी, घसीटा-घसीटी, बर्तन फेंका-फेंकी होती भी है. बर्तन अटैक से एक-दूसरे को चोटिल करने से भी बाज नहीं आते. पानी के चक्कर में सारे आपसी रिश्ते- भाईचारा तार-तार हो जाते हैं. मामला थाना पुलिस तक पहुंचता है. फिर समझौता करा कर वापस भेजा जाता है, लेकिन अगले ही पल फिर से पानी के लिए लोग मुंह और मूड खराब कर लेते हैं. शुक्रवार को वार्ड 28 के स्वर्णजयंती नगर में सुजीत साव और संतोष चौधरी के बीच पानी भरने को लेकर पिछले तीन दिनों से झगड़ा-झंझट चल रहा था. वार्ड पार्षद रश्मि चौधरी भी दोनों को समझाते-समझाते हाफ गईं. मामला बढ़ा और थाने तक पहुंचा. पुलिस ने दोनों पक्षों को थाना बुलाया. पहले समझाया, फिर हड़काया, तो सुलह हुई.
स्वर्णजयंती नगर में 13 एचवाईडीटी, 10 खराब, कैसे बुझे प्यास
वार्ड 28 में नदर निगम ने डीप बोरिंग कराकर 13 एचवाईडीटी की व्यवस्था की थी, ताकि लोगों की प्यास बुझायी जा सके. लेकिन 13 में से 10 या तो खराब पड़े हैं, या पानी ही नहीं निकलता है. बोरिंग सूख गये हैं या जलस्तर नीचे चला गया है.
वार्ड 34 के गंगानगर में बोरिंग ही नहीं
गंगानगर में तो एक भी बोरिंग नगर निगम की ओर से नहीं कराया गया है. जिनके घरों में बोरिंग हुई थी, सूख चुके हैं. कुएं-चापानल तो फरवरी माह में भी सूख गये थे. मुहल्ले की रहनेवाली राजमनी यादव और नीभा देवी कहती हैं कि किससे दुखड़ा सुनाएं. निगमवाले सुनते ही नहीं. दिन में एक बार भी निगम का टैंकर पानी लेकर आ जाये, तो गनीमत है. हमलोगों के बच्चे साइकिल पर ब्लाडर टांग कर दिन भर घूमते रहते हैं, ताकि जहां भी पानी मिले, भर कर ले आएं. पीने का पानी जुगाड़ ही नहीं हो पाता, तो नहाने-कपड़ा धोने के लिए पानी कहां से लाएं.
टैंकर आते हैं थाने से पुलिसकर्मी तैनात किए जाते हैं
नगर निगम का टैंकर आते ही, सुखदेवनगर थाने को सूचना दी जाती है. थाने से पुलिसकर्मी पहुंचते हैं, फिर पानी बंटना शुरू होता है. हालांकि पुलिसकर्मी भी मुहल्ले के लोगों की जिद्द के आगे किंकर्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं. समझाते-समझाते उनकी सांसे फुलने लगती हैं. फिर भी स्थिति को नियंत्रण में रखने में थोड़ी कामयाबी मिलती है.
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