Saurav singh
Ranchi : हाल के दिनों में झारखंड पुलिस में अजीबो-गरीब मामले सामने आ रहे हैं. जहां सरायकेला में पदस्थापित एक एएसआई ने अपने एसपी, डीआईजी और डीजीपी के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराने के लिए छुट्टी मांगी थी, तो वहीं दूसरी तरफ चाईबासा जिले में पदस्थापित एक दरोगा द्वारा आत्महत्या करने के लिए एसपी से अनुमति मांगने का मामला सामने आया है. बीते चार फरवरी को दरोगा ने एसपी को लिखे में पत्र में कहा कि मेरा ट्रांसफर सीआईडी में हो जाने के बाद भी मुझे विरमित नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर दरोगा ने एसपी से गुहार लगाते हुए कहा कि मुझे आत्महत्या करने की अनुमति प्रदान करें, ताकि मैं जल्द आत्महत्या कर पाऊं.
नक्सल परिदृश्य और विधि व्यवस्था को देखते हुए बारी-बारी से किया जा रहा था विरमित
उल्लेखनीय है कि चाईबासा जिला बल से करीब 43 दरोग स्तर के पुलिस पदाधिकारी का ट्रांसफर विभिन्न जिला इकाई में हुआ था. यहां के नक्सली परिदृश्य और विधि व्यवस्था को देखते हुए बारी-बारी से पुलिस पदाधिकारियों को विरमित किया जा रहा था. ऐसे में दरोगा ने एसपी को पत्र लिखकर आत्महत्या की अनुमति मांगी थी. इसको लेकर एसपी ने दरोगा से स्पष्टीकरण भी मांगा था. कहा गया था कि आपके द्वारा विरमित करने का दबाव बनाने के लिए आत्महत्या की अनुमति की मांग करना एक आयोग्य पुलिस पदाधिकारी को प्ररिलक्षित करता है.
अति उग्रवाद प्रभावित जिला है चाईबासा
चाईबासा अति उग्रवाद प्रभावित जिला है. यहां कोल्हान इलाके में नक्सली कम हो गये हैं. इस इलाके में अब सिर्फ नक्सलियों का छोटा दस्ता बचा है. फिलहाल चाईबासा का छोटानागरा थाना क्षेत्र सेंटर प्वाइंट बना हुआ है. यहां समता इलाके के 400 स्क्वायर किलोमीटर में नक्सलियों का मुख्य जत्था मौजूद है. इनमें एक-एक करोड़ के इनामी माओवादी पोलित ब्यूरो मेंबर मिसिर बेसरा, केंद्रीय कमेटी मेंबर अनल उर्फ पतिराम मांझी और असीम मंडल उर्फ आकाश सहित करीब 80 नक्सली हैं. उक्त इलाके में स्थानीय लोगों का छोटा टोला भी है.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर मामला दर्ज करने के लिए एएसआई ने मांगी थी छुट्टी
सरायकेला जिला के आरआईटी थाना में पदस्थापित एएसआई शुभंकर कुमार ने अपने वरीय अधिकारियों पर गंभीर बात कहते हुए एक आवेदन लिखा था, जिसमें उन्होंने पुलिस के आला अधिकारियों पर शोषण और मनमाने रवैये का आरोप लगाया था. एएसआई ने जिला एसपी, डीआईजी और डीजीपी के खिलाफ न्यायालय में मामला दर्ज कराने के लिए तीन दिन के आकस्मिक अवकाश की मांग की थी.