Hazaribagh : हजारीबाग जिला के बड़कागांव स्थित एनटीपीसी की पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है. फॉरेस्ट क्लीयरेंस (स्टेज-2) की शर्तों के उल्लंघन का गंभीर मामला अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), कोलकाता के समक्ष विचाराधीन है. इसी बीच वन विभाग की दो सदस्यीय जांच समिति की एक अहम रिपोर्ट सामने आने के बाद विभागीय हलकों में खलबली मच गई है.
जानकारी के अनुसार, नवंबर 2024 में वन संरक्षक हजारीबाग द्वारा गठित जांच समिति, जिसमें एसीएफ ए.के. परमार और अभय कुमार सिन्हा शामिल थे. उन्होंने फरवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन यह रिपोर्ट अब तक विभागीय फाइलों में दबी रही. अब जब NGT में सुनवाई के दौरान वन विभाग से जवाब मांगा गया है, तो यह रिपोर्ट सामने आई है और पूरे प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है. एक्टिविस्ट शनि कांत ने एनजीटी में मामला दायर करने से पूर्व वन विभाग में भारत सरकार से लेकर राज्य सरकार को कई शिकायतें की थी.
जांच समिति के निष्कर्ष: नियमों का निर्मम उल्लंघन
रिपोर्ट में जांच टीम ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि एनटीपीसी द्वारा फॉरेस्ट क्लीयरेंस की शर्तों का निर्ममता से उल्लंघन किया जा रहा है. सड़क मार्ग से कोयला ढुलाई जारी है, जबकि यह व्यवस्था हाथियों और अन्य वन्य जीवों के आवागमन को बाधित कर रही है.
इस कारण अब तक कई आम नागरिकों की सड़क हादसों में जान जा चुकी है और वन्य जीव लगातार मानवीय बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे जन-धन व फसल को भारी नुकसान हो रहा है.
समिति ने कहा है कि FC की शर्तों का पालन करवाना वन विभाग का दायित्व है. इसका उल्लंघन वन अधिनियम 1980 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है.
EC और FC के बीच अंतर को नजरअंदाज कर रही एनटीपीसी?
जांच रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि एनटीपीसी ने पर्यावरण स्वीकृति (EC) की शर्तों में संशोधन कर सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की अनुमति ली है. लेकिन फॉरेस्ट क्लीयरेंस (FC) की शर्तें इससे अलग और स्वतंत्र हैं. इन दोनों शर्तों को एक समान मानकर पालन करना नियमों के खिलाफ है.
कोयला ढुलाई में पहले भी सामने आ चुकी हैं गड़बड़ियां
यह पहली बार नहीं है, जब एनटीपीसी पर कोयला परिवहन को लेकर उंगलियां उठी हैं. पूर्व में भी सड़क मार्ग से जंगलों के रास्ते कोयला ढुलाई को लेकर वन विभाग ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं.
दोपहिया और तिपहिया वाहनों से कोयले की ढुलाई तक का खुलासा हुआ था. यहां तक कि जिला खनन पदाधिकारी ने बड़कागांव थाने में एफआईआर के लिए आवेदन दिया, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई.
वन विभाग की औचक जांच में यह भी पाया गया था कि एक ही ट्रांजिट परमिट का उपयोग कर कई खेपों में कोयला ढोया जा रहा है. ट्रांजिट परमिट के 24 से 30 घंटे के भीतर कई बार कोयला लोडिंग की संभावना जताई गई थी. बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
Leave a Comment