Saurav Singh/ Vinit Upadhyay
Ranchi: झारखंड में अब डीजीपी की नियुक्ति पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता वाली कमेटी फैसला लेगी. यह फैसला बीते सात जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. यूपी, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना की तर्ज पर झारखंड सरकार राज्य में भी डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) नियुक्ति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है. जिसका नाम महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक झारखंड (पुलिस बल प्रमुख) का चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 दिया गया है. लगातार न्यूज के पास उपलब्ध अधिसूचना की कॉपी के मुताबिक, इसका विस्तार संपूर्ण झारखंड राज्य में होगा. यह झारखंड राज्य के शासकीय राजपत्र में प्रकासन की तारीख से लागू होगी.
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नाम निर्देशन समिति में कौन होंगे
अध्यक्ष- हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस अध्यक्ष
सदस्य – मुख्य सचिव, यूपीएससी का एक प्रतिनिधि, जेपीएससी अध्यक्ष, गृह सचिव और सेवानिवृत्त डीजीपी.
डीजीपी बनने के लिए योग्यता
– नई नियमावली में उन अधिकारियों के नाम पर विचार किया जायेगा, जो वेतन मैट्रिक्स लेवल के 16 में राज्य संवर्ग में पुलिस महानिदेशक का पद धारण कर रहे हैं.
– डीजीपी पद की रिक्ति होने की तिथि को अधिकारी की सेवा अवधि छह महीने या उससे अधिक होनी चाहिए. अवधि की गणना करते समय अधिकारी की इस पद पर की गई पूर्व की सेवा अवधि को भी सम्मिलित किया जाएगा. डीजीपी का पद नियमित डीजीपी के नियंत्रण पदस्थापन अन्य पदस्थापन या सेवानिवृत्ति की तिथि से रिक्त माना जाएगा.
– लेवल 16 में कोई अधिकारी झारखंड राज्य में डीजीपी के रूप में सूची में सम्मिलित किए जाने के लिए विचार के लिए उपलब्ध नहीं है, या नाम निर्देशन समिति किसी भी अधिकारी को सूची में सम्मिलित किए जाने के लिए उपयुक्त नहीं पाती है, वहां वेतन मैट्रिक्स के लेवल 15 में राज्य संवर्ग में एडीजी का पद धारण करने वाले हो, जिन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में आवंटन वर्ष की पहली जनवरी से रिक्ति के दिनांक तक कम से कम 30 वर्ष की सेवा पूरी की हो ऐसे समस्त अधिकारी सूची में सम्मिलित होंगे.
अब तक क्या होता था
डीजीपी के चयन के लिए पहले राज्य सरकार आईपीएस अधिकारियों के नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जिसमें से तीन नामों को स्वीकृत कर यूपीएससी उसे राज्य सरकार को भेज देती थी. उन्हीं तीन नामों में से किसी एक को राज्य सरकार डीजीपी बनाती थी. पर अब ऐसा नहीं होगा.
क्यों लिया गया फैसला
वर्ष 2019 से डीजीपी के पैनल को लेकर यूपीएससी और राज्य सरकार के बीच विवाद होता रहा है. यही नहीं, पहले पैनल भेजने से लेकर डीजीपी की नियुक्ति तक करीब तीन-चार महीने का समय लग जाता था. नई व्यवस्था होने से अब सरकार को यूपीएससी को अधिकारियों के नाम का पैनल नहीं भेजना होगा, बल्कि यूपीएससी के अधिकारी ही यहां आएंगे. इससे समय भी बचेगा.
नई नियमावली में और क्या-क्या
– समिति का गठन: डीजीपी के चयन के लिए एक समिति बनायी जायेगी, जो इस पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार का चयन करेगी.
– यूपीएससी की भूमिका कम: इस नई व्यवस्था के तहत, राज्य सरकार को स्थायी रूप से डीजीपी की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार के कर्मचारी चयन आयोग (यूपीएससी) से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी.
– अधिकारियों के लिए कम से कम छह महीने का न्यूनतम कार्यकाल: डीजीपी के पद के लिए केवल उन आईपीएस अधिकारियों को ही विचार किया जायेगा, जिनका सेवाकाल कम से कम छह महीने शेष हो.
– नियुक्ति की अवधि: डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो वर्षों के लिए होगी.
– सेवा रिकॉर्ड और अनुभव: डीजीपी का चयन अधिकारी के बेहतर सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर किया जायेगा.
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