पीआईबी के अकाउंट से जो पोस्ट साझा किया गया था उसमें वैक्सीन और आगे उससे होने वाली मौतों के एक दावे का फैक्ट चेक किया गया था
NewDelhi : केंद्र सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच 36 का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. खबर है कि सरकारी संस्था प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के एक पोस्ट को डिलीट करने के मामले में फेसबुक और इंस्टाग्राम से सरकार की ठन गयी है. बता दें कि पीआईबी ने कोरोनावायरस की वैक्सीन और उससे जुड़े मौतों के दावे को लेकर एक फैक्ट चेक किया था. लेकिन फेसबुक और इंस्टाग्राम ने पीआईबी के इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. हालांकि बाद में सरकार के दखल के बाद दोनों प्लेटफॉर्म्स पर ये पोस्ट रीस्टोर किये गये.
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क्या था पीआईबी का फैक्ट चेक?
जानकारी के अनुसार पीआईबी के अकाउंट से जो पोस्ट साझा किया गया था उसमें वैक्सीन और आगे उससे होने वाली मौतों के एक दावे का फैक्ट चेक किया गया था. जान लें कि सोशल मीडिया पर लंबे समय से वैक्सीन के झूठे दावों को लेकर पोस्ट लगी हुई थी. इसमें फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता लुक मोंटैग्नियर की तस्वीर और कथित बयान लगाया गया था. पोस्ट में कहा गया था कि कोरोनावायरस की वैक्सीन लगवाने लोगों का दो साल के अंदर ही निधन हो जा रहा है.
इस पोस्ट को भारत में भी बड़ी संख्या में लोग सच मान रहे थे. ऐसे में पीआईबी ने इस पर जो फैक्ट चेक किया, उसमें साफ लिखा कि सोशल मीडिया पर कोरोना वैक्सीन को लेकर फ्रेंच नोबेल विजेता की फोटो के साथ एक कथन वायरल हो रहा है. फोटो में जो कथन है, वो पूरी तरह झूठा है. कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं. इस फोटो को फॉरवर्ड न करें.
सूत्रों के अनुसार पीआईबी के इस फैक्ट चेक के पोस्ट होने के एक दिन बाद ही फेसबुक और इंस्टाग्राम ने इसे बिना कोई जानकारी दिये हटा दिया. इतना ही नहीं फेसबुक द्वारा चेतावनी दी गयी कि अगर वह गलत जानकारी फैलाता है, तो उसके पेज को हटाया भी जा सकता है.
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आईटी मंत्रालय ने की शिकायत, तो रीस्टोर किया पोस्ट
पीआईबी अधिकारियों ने इसकी शिकायत आईटी मंत्रालय से की. मंत्रालय इस मुद्दे को ईमेल के जरिए फेसबुक और इंस्टाग्राम के अधिकारियों के सामने उठाया. इस दखल के बाद ही दोनों प्लेटफॉर्म्स ने पीआईबी के फैक्ट चेक को रीस्टोर कर दिया. फेसबुक के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसने गलती से अस्थायी तौर पर कंटेंट को ब्लॉक कर दिया था.
इस घटना के बाद आईटी मंत्रालय ने कंपनी से फैक्ट चेकर की नियुक्ति में पारदर्शिता न बरतने पर भी चिंता जताई है. आईटी मंत्रालय के एक अफसर ने कहा कि फेसबुक और इंस्टाग्राम मजबूत फैक्ट चेकिंग होने की बात कहते हैं, पर जब हमने उनसे पीआईबी के हटाये गये पोस्ट पर बात की, तो उन्होंने कहा कि यह अनजाने में हो गया, क्योंकि मशीन ने इसे गलत खबर करार दे दिया था. इस पर हमने सवाल उठाया कि आखिर इसे इंसानी फैक्ट चेकर से क्रॉस चेक क्यों नहीं कराया गया.
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सरकार ने कहा, फैक्ट चेकिंग में पारदर्शिता हो
खबर है कि आईटी मंत्रालय ने इन सोशल मीडिया मध्यस्थों से अपनी फैक्ट चेकिंग प्रक्रिया के प्रति और ज्यादा पारदर्शी होने और नियुक्त हुए फैक्ट चेकर्स की जानकारी मांगी है बता दें कि सोशल मीडिया पर फैक्ट चेकर्स का यह मुद्दा पिछले महीने भी उठा था, जब ट्विटर ने कुछ भाजपा सदस्यों के पोस्ट को इसलिए मैनिपुलेटेड मीडिया मार्क कर दिया था, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस की टूलकिट का जिक्र किया था. इस पर भी मंत्रालय ने ट्विटर को पत्र लिख यह टैग हटाने की मांग की थी.
इससे पहले 10 मई को भी फेसबुक और इंस्टाग्राम ने पीआईबी के एक पोस्ट को हटा दिया था. इसमें पीआईबी की फैक्ट चेक टीम ने कोरोना की शुरुआती स्टेज के मरीजों के स्टेरॉयड लेने से जुड़ी अफवाहों का जवाब दिया था. फेसबुक ने इस पोस्ट को फेक करार दिया था, लेकिन बाद में गलती स्वीकारते हुए इसे रीस्टोर किया गया.