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कालजयी फिल्मों का किया है निर्देशन
फिल्म ताहेदेर कोथा बुद्धदेव दासगुप्ता की कालजयी फिल्म है. इस फिल्म में अपने अविस्मरणीय काम से उन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. ‘निम अन्नपूर्णा’, ‘गृहयुद्ध’, ‘फेरा’, ‘बाघ बहादुर’, उत्तरा उनकी उल्लेखनीय फिल्में करार दी गयी है.1989 में ‘बाघ बहादुर, 1993 में चराचर और 1996 में लाल दरजा फिल्म ने दर्शकों के मन पर अपनी छाप छोड़ी थी. श्री दासगुप्ता के अध्ययन का विषय अर्थशास्त्र था. उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्ययन किया. अपने करियर की शुरुआत उन्होंने अध्यापन से की थी. वे सिटी कॉलेज, कलकत्ता में पढ़ाते थे. खाली समय में निर्देशक का काम करते थे. इसे भी पढ़ें : यूपी">https://lagatar.in/controversy-over-appointment-of-former-up-chief-secretary-anoop-chandra-pandey-as-election-commissioner/85851/">यूपीके पूर्व मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय को चुनाव आयुक्त बनाये जाने से विवाद, प्रशांत भूषण, दीपांकर घोष ने विरोध किया
कई इंटरनेशनल पुरस्कार से नवाजे गये
बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1986 में 10 मिनट की डॉक्यूमेंट्री द कॉन्टिनेंट ऑफ लव से की थी. उनकी पहली पूर्ण फीचर फिल्म, ‘दूरत्व’, 1986 में रिलीज़ हुई थी. फीचर फिल्मों में ‘कालपुरुष’, ‘मंद मेयेर उपाख्यान’ आदि महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है. बुद्धदेव दासगुप्ता को 28 मई 2006 को स्पेन में मैड्रिड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 2006 के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में एक के बाद एक पुरस्कार जीता था. उनके निधन से फिल्म जगत में शोक की छाया छा गयी है. इसे भी पढ़ें : बाबा">https://lagatar.in/baba-ramdevs-attempt-to-remove-the-displeasure-of-doctors-said-allopath-is-best-for-surgery-and-emergency/85830/">बाबारामदेव का डॉक्टरों की नाराजगी दूर करने का प्रयास, कहा, सर्जरी और इमरजेंसी के लिए एलोपैथ ही श्रेष्ठ