कृषि मंत्री तोमर- किसान बताएं क्या बदलाव चाहते हैं, सरकार चर्चा को तैयार
पपीता से लद गया पेड़
जब आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगा तो आय के लिए उन्होंने पपीते की खेती को चुना. इसकी खेती के लिए वे कुछ लोगों से जानकारी लिये. जमीन को तैयार किये. उसमें जैविक खाद का प्रयोग किये. जमीन तैयार होने के बाद अप्रैल महीने में उसमें पौधे लगा दिये. उसकी देखभाल करते रहे. समय पर उसमें जैविक खाद और पानी दिया जाता रहा. तब आठ महीने बाद पेड़ पपीता से लद गया. इसे भी पढें-रांची">https://lagatar.in/ranchi-farmers-are-not-getting-msp-on-paddy-middlemen-are-taking-advantage-andhra-pradesh-is-getting-cheaper/11804/">रांची: किसान को नहीं मिल रहा धान पर MSP, बिचौलिए उठा रहे हैं फायदा, सस्ती कीमत पर ले जा रहे आंध्रप्रदेश
खुद की मेहनत का फल है
सुशील का कहना है कि दस हजार रुपये की पूंजी लगाकर खेती शुरु की. फसल की गुणवत्ता को सबसे आगे रखा. इसके लिए गोबर खाद का इस्तेमाल किया. पपीते के साथ खेत में आम के पौधे भी लगाये ताकि समय आने पर आम के फल हों. अभी जो फल है वह काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक है. यहां एमएसपी की कोई समस्या नहीं है. यह खुद की मेहनत का फल है. इसलिए इसे बाजार जाकर बेचेंगे. हमें उम्मीद है कि एक लाख रुपये से अधिक की कमाई होगी. सुशील के पपीते की खेती की जानकारी बीडीओ यादव बैठा को हुई तो वे वनटोली पहुंचकर बागान का निरीक्षण किये। वे सुशील के प्रयास की सराहना किये. बीडीओ ने पपीते की खेती देख खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कृषि विभाग के पदाधिकारियों से मिलकर वे पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए कहेंगे ताकि यहां के किसानों को खेती का और अवसर मिले. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता विदेशी बढ़ाईक भी उपस्थित थे। इसे भी पढें-किसान">https://lagatar.in/pm-modi-arrives-in-gurudwara-rakabganj-sahib-suddenly-amidst-farmer-andelan/11028/">किसानआंदेलन के बीच अचानक गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचे पीएम मोदी