New Delhi : विदेशी निवेश (वित्त वर्ष 2022-23) के मामले में भारत बैकफुट पर है. खबर है कि मोदी राज में पहली बार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारी गिरावट आयी है. एफडीआई (Foreign Direct Investment) 16 फीसदी तक गिर गया है. रिजर्व बैंक के स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी शीर्षक से जारी लेख में कहा गया है कि 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान ग्रॉस इनवार्ड एफडीआई (Gross Inward FDI) में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आयी है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
बता दें कि एफडीआई का आंकड़ा वित्त वर्ष 2021-22 में 84.8 बिलियन डॉलर था. यह वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 16.3 फीसदी कम होकर 71 बिलियन डॉलर रह गया है. पिछले एक दशक में यह पहली गिरावट दर्ज की गयी है. जान लें कि इस दौरान अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मॉरीशस से भी एफडीआई कम हुआ है.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी की सलाह
हालांकि रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी के अनुसार भारत, जी 20 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में एफडीआई को आकर्षित करने के लिए संरचनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में है. सलाह दी कि सरकार को ग्लोबल सप्लाई चेन में चल रहे डायवर्सिफिकेशन का फायदा उठाना चाहिए. भारत के मैन्युफैक्चिरिंग सेक्टर में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना चाहिए. जान लें कि पिछले दिनों अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट में चेतावनी दी गयी थी कि निवेशकों में अनिश्चितता और जोखिम प्रतिकूलता वैश्विक एफडीआई पर महत्वपूर्ण दबाव डाल सकती है.

नेट बेसिस पर एफडीआई 27.5% घटकर 28 बिलियन डॉलर रह गया
नेट बेसिस पर नजर डालें तो एफडीआई 27.5% घटकर 28 बिलियन डॉलर हो गया है. जनवरी में जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में, चीन में एफडीआई का प्रवाह 8% बढ़कर 189 बिलियन डॉलर हो गया था. आंकडें कहते हैं कि जिन क्षेत्रों में एफडीआई में सबसे ज्यादा कमी आयी है, उनमें विनिर्माण, कंप्यूटर सेवाएं और संचार सेवाएं शामिल हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में नेट एफडीआई का आंकड़ा 38.6 बिलियन डॉलर रहा था, जो पिछले वित्त वर्ष में कम होकर 28 बिलियन डॉलर रह गया.


