Ranchi: इडी द्वारा कमीशन खोरी के मामले में पूछे गये सवालों के जवाब में पेयजल विभाग के जूनियर इंजीनियर सुरेश ने मंत्री से लेकर सचिव और अभियंता प्रमुख की हिस्सेदारी की जानकारी दी.
जूनियर इंजीनियर ने कमीशन लेने वाले सचिवों के नाम की भी जानकारी इडी को दी. उसने विभाग के तत्कालीन सचिव प्रशांत कुमार का भी नाम लिया है. प्रशांत कुमार अभी वित्त विभाग के सचिव हैं और जेएसएससी के प्रभारी चेयरमैन है.
प्रशांत कुमार के अलावा पेयजल विभाग के सचिव रहे राजेश कुमार शर्मा, मनीष रंजन और वर्तमान सचिव मस्तराम मीणा का भी नाम जूनियर इंजीनियर ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में लिया है.
उल्लेखनीय है कि पेयजल घोटाले (कथित तौर पर 200 करोड़ का घोटाला) की जांच के दौरान इडी ने जूनियर इंजीनियर सुरेश कुमार के घर पर भी छापा मारा था. घर से नकद 2.05 लाख रुपये नकद मिलने के बाद इडी ने उसके काम काज के अलावा विभाग में जारी कमीशनखोरी से जुड़े सवाल पूछे और सुरेश का जवाब दर्ज किया था.
इडी द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए जूनियर इंजीनियर सुरेश ने पेयजल विभाग के टेंडर में कमीशन खोरी के पूरे सिस्टम की जानकारी दी है. इस दौरान उसने मुख्य अभियंता से जूनियर इंजीनियर तक की जिम्मेदारियों का भी उल्लेख किया है.
कमीशन में हिस्सेदारी से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए सुरेश ने विभाग में टेंडर मूल्य का 3.75 प्रतिशत बतौर कमीशन वसूलने की जानकारी दी है. कमीशन की इस रकम में उसने मंत्री, विभागीय सचिव सहित अन्य की हिस्सेदारी का भी उल्लेख किया.
सुरेश ने इडी को दिये गये बयान में कहा कि 3.75 प्रतिशत में मंत्री को 2.25 प्रतिशत मिलता था. मंत्री मिथिलेश ठाकुर को उनके निजी सचिव हरेंद्र सिंह के माध्यम से कमीशन की राशि दी जाती थी. विभागीय सचिव को 0.05 प्रतिशत हिस्सा मिलता था.
जूनियर इंजीनियर ने अपने बयान में यह भी स्वीकार किया है कि किसी ठेकेदार द्वारा कमीशन देने से इंकार करने या नहीं देने की स्थिति में उसकी खामियां निकाल कर उसे अलग-थलग कर दिया जाता था.
सुरेश ने कमीशन की राशि में अभियंता प्रमुख की हिस्सेदारी 0.05 प्रतिशत बतायी है. अभियंता प्रमुख के रूप में कमीशन लेने वालों में स्वेताभ कुमार और रघुनंदन प्रसाद का नाम लिया है. कमीशन की शेष रकम में दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों का हिस्सा 0.75 प्रतिशत बताया है.
कमीशनखोरी के सिलसिले में पूछे गये सवाल के जवाब में सुरेश ने कमीशन की रकम में अपनी हिस्सेदारी 0.02 प्रतिशत बतायी है. साथ ही यह भी स्वीकार किया है कि उसने कमीशन की रकम से अपने और पारिवारिक सदस्यों के नाम पर चल-अचल संपत्ति खरीदी है.
विभाग में कमीशनखोरी की जानकारी उसे कैसे मिली. इस सवाल का जवाब देते हुए सुरेश ने यह बताया है कि तत्कालीन अभियंता प्रमुख के निर्देश पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर के निजी सचिव हरेंद्र सिंह से मुलाकात की.
हरेंद्र सिंह ने मंत्री के लिए 2.25 प्रतिशत कमीशन वसूलने की बात कही और वसूलने की जिम्मेदारी दी. दूर दराज तबादला के डर से उसने कमीशन वसूलने की जिम्मेदारी ले ली. इसके बाद वह एल-वन घोषित ठेकेदार को मंत्री के निजी सचिव के पास भेजते थे.
जब कोई ठेकेदार कमीशन की रकम लेकर नहीं जाता था तो हरेंद्र सिंह उसे फोन कर इसकी सूचना देते थे कि फलां ठेकेदार अब तक नहीं आया. इसके बाद वह फिर उस ठेकेदार को फोन कर हरेंद्र सिंह के पास जाने के लिए कहते थे. इस काम के बदले उसे 0.02 प्रतिशत हिस्सा मिलता था.
सुरेश ने इडी को उन ठेकेदारों की एक सूची भी सौंपी जिससे उसके माध्यम से कमीशन की वसूली की गयी थी. इडी के सवाल के जवाब में सुरेश ने कहा कि वर्तमान अभियंता प्रमुख के कार्यकाल में किसी टेंडर का निपटारा नहीं हुआ है.