बार्ज P305 के अरब सागर में तूफान के समय डूबने से 49 लोगों की मौत हो गयी. 200 लोगों को ऑपरेशन के बाद भारतीय नेवी ने बचाया.
MumbaI : चक्रवात ताउते की वजह से जहाज बार्ज पी-305 के डूबने और उस पर मौजूद लोगों की जान खतरे में डालने के आरोप में बार्ज के कप्तान समेत अन्य लोगों पर मुंबई के येलो गेट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गयी है. बार्ज के कप्तान राकेश बल्लव और अन्य पर धारा 304(2),338 के तहत एफआईआर दर्ज हुआ है.
एफआईआर बार्ज के इंजीनियर रहमान की शिकायत पर की गयी है. पुलिस का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में कैप्टन राकेश का बयान लेना काफी ज़रूरी है. इस मामले में जांच के लिए स्पेशल टीम का गठन कर दिया गया है.
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रहमान दो दिन तक समुद्र में रहे, उनके पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं
बता दें कि बार्ज P305 के अरब सागर में तूफान के समय डूबने से 49 लोगों की मौत हो गयी, जबकि लगभग 200 लोगों को एक कठिन ऑपरेशन के बाद भारतीय नेवी ने बचाया. चीफ इंजीनियर के अनुसार जहाज पर स्थिति बिगड़ने की हालत में उन्होंने समुद्र में छलां ग लगा दी थी. ऐसे में कैप्टन राकेश कहां गये, कुछ पता नहीं लग पाया. चीफ इंजीनियर के भाई के अनुसार मुस्तफिज़ुर रहमान दो दिन तक समुद्र में रहे, इस वजह से उनके पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं. अंत में नेवी ने उन्हें बाहर निकाला.
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चेतावनी के बावजूद राकेश बल्लव ने बार्ज कर्मचारियों की जान जोखिम में डाली
आरोप है कि मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद राकेश बल्लव ने बार्ज कर्मचारियों की जान जोखिम में डाली. जानकारी के अनुसार फिलहाल राकेश लापता हैं. उनकी तलाश की जा रही है. बार्ज पी 305 के चीफ इंजीनियर ने रहमान शेख ने बार्ज के कप्तान और मालिक पर लोगों की जान खतरे में डालने का आरोप लगाया है. कहा कि कप्तान और मालिक को लगातार इस बात की सूचना दी गयी कि तूफ़ान आने वाला है. इसलिए जहाज को सुरक्षित हार्बर पर लेकर चला जाये. लेकिन कप्तान ने बात नहीं मानी.
खबर है कि कप्तान 17 मई के बाद से अब तक लापता है. वे भी समुद्र में कूद गये थे. चीफ इंजीनियर रहमान को काफी चोट आई है और वो ताड़देव के अपोलो अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है. चीफ इंजीनियर का आरोप है कि अगर 14 मई से 15 मई के बीच जहाज पी 305 को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया होता तो 280 लोगों की जान मुसीबत में नहीं फंसती.
रेस्क्यू टीम को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था.
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि दुर्घटना के दिन ताउते के चलते कुछ मीटर की दूरी पर भी रेस्क्यू टीम को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. इसी दौरान चक्रवाती तेज हवाओं और घनघोर बारिश के चलते अलग-अलग दिशा में समंदर में बहे लोगों को बचाना बेहद चुनौतीपूर्ण था. ऐसे में, लाइफ जैकेट में लगी बैटरी उनके लिए सहायक बनी, जिसकी रोशनी से वह तेजी से नाविकों तक पहुंच पाये. तेज हवा और ऊंची लहरों के बीच नौसैनिकों ने 17 मई की रात 60 और सुबह तक कुल 180 लोगों का रेस्क्यू कर लिया.
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