Lagatar Desk: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष से GDP की वृद्धि दर में हो सकती हैं सुधार . वित्त मंत्री का कहना है कि अर्थव्यवस्था में अब सुधार के संकेत दिखने लगा हैं. वे कहती है कि चालू वित्त वर्ष में GDP की वृद्धि दर में गिरावट आयेगी या शून्य के करीब रहेगी. वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 % की दर से बढ़ी थी. जबकि 2019-20 में विकास दर 4.2 % थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 % की गिरावट हुई है, भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसा 40 साल में पहली बार ईतनी गिरावट आयी है, जिसके कारण पूरे वित्त वर्ष के दौरान GDP की वृद्धि दर नकारात्मक या शून्य के करीब रहेगी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारत की GDP 2020 में(-10.3%) हो सकती है. ऐसी अंशका है कि 2021 में बांग्लादेश प्रति व्यक्ति GDP में भारत को पीछे छोड़ देगा.IMF के अनुसार,प्रति व्यक्ति आय के आधार पर,भारत जीडीपी(Nominal) से 142 वें और 2020 में जीडीपी(Purchasing Power Parity) से 124 वें स्थान पर है.
पिछली तिमाहियों में GDP ग्रोथ
Q1FY21: (-)23-9%
Q2FY20: 4.5%
Q3FY20: 4.7%
Q4FY20: 3.1%
Q1FY20: 5%
GDP पर कोरोना महामारी का असर
कोरोना के कारण हमारी अर्थव्यवस्था Demand Crisis से गुजर रही है. वित्त मंत्री का कहना है कि आर्थिक गतिविधियों को खोलने से आर्थिक Indicator में काफी सुधार हो रहा है. Festive season में अर्थव्यवस्था को और अधिक रफ्तार मिल सकती है. जिससे चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर सकारात्मक हो सकती है.
क्यों घट रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास दर
भारत की आर्थिक विकास की गति में काफी गिरावट आई है. देश की जीडीपी 4 बातों पर आधारित होता हैं :
⦁ निजी व्यक्तियों द्वारा कुल व्यय
⦁ सरकार द्वारा कुल व्यय
⦁ देश में किये गये निवेश पर कुल व्यय
⦁ आयात और निर्यात का शुद्ध प्रभाव
देश की GDP ऊपर दिये गये कारकों पर निर्भर करता है.व्यापार Component पिछले 6 महीने से कमजोर है क्योंकि भारत के Goods(समान) की वैश्विक मांग में कमी आयी है, जो भारत की GDP को काफी चोट पहुंचा रही है.GDP मे गिरावट का सबसे बड़ा कारण भारत के बैंकों की Balance-Sheet में NPA(Non Performing Assets) के अधिक होने के कारण हुआ है.
NPA(Non Performing Assets) होता क्या है
जब कोई देनदार अपने बैंक को LOAN का EMI ,Due Date के 90 दिन के अंदर नहीं दे पाता है, तो उसका Loan Account, Non Performing Assets (एनपीए) कहलाता है. Corporate अधिक Loan ले चुके हैं और Payment नहीं कर पा रहे है जिससे बाजार में पैसे की Liquidity कम हो गयी हैं.बैंक और सरकार के स्वामित्व वाले लोगों ने RBI के मानदंडों को नजरअंदाज किया और कंपनियों को इस उम्मीद में लोन दिया कि इससे आर्थिक विकास में सुधार होगा और बैकों को अधिक मुनाफा होगा.
जीडीपी गिरने से क्या होंगे नुकसान
⦁ लोग बाजार में निवेश नहीं करेंगे जिससे पैसे की Liquidity में कमी आयेगी.
⦁ बेरोज़गारी का खतरा बढ़ेगा
⦁ लोग खर्च कम करेंगे तो कारोबार पर इसका काफीअसर पड़ेगा.
⦁ उद्योगों के उत्पाद की मांग कम होने लगती है
⦁ बैंकों से कर्ज के मांग में भी गिरावट आएगी.
⦁ तमाम बड़ी कंपनियां बाजार से पैसा उधार लेकर या अपना हिस्सा बेचकर कर्ज चुकायेगें.
⦁ देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी रिलायंस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने इसी दौरान डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ऊपर का कर्ज चुका कर खुद को कर्जमुक्त कर लिया है.
भारत की GDP किस आधार पर तय होती है
एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री और सर्विसेज (सेवा) तीन प्रमुख कारक हैं. जिनमें उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत आधार पर जीडीपी दर तय की जाती है. अगर जीडीपी का आंकड़ा बढ़ा है तो आर्थिक विकास दर भी बढ़ेगी और यदि ये पिछले तिमाही के मुक़ाबले कम है तो देश की हालत गिरावट का रुख ले सकता है.